Wednesday, August 1, 2012
Tuesday, July 31, 2012
ऐसा बोलेंगा तो !
ऐसा बोलेंगा तो !
'कांसो'* पे भी संतोष जो करले; हमी तो है, *[कांस्य पदक]
'सोने' से अपने 'ख़्वाब' को भरले; हमी तो है.
'मनरेगा' से भी पेट जो भर ले हमी तो है, [म. गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना]
भेंसो के चारे को भी जो चर ले हमी तो है.
रिश्वत से काम लेने की आदत सी पड़ गयी,
कागज़ की नाव पर भी जो तर ले हमी तो है.
"पेशाब कर रहा है गधा इक खड़ा हुआ",
दीवारों पे लिखा हुआ पढ़ ले हमी तो है !
'बोफोर्स' हो , 'खनन' कि वो 2G ही क्यों न हो,
'आदर्श' हरइक घपले को कर ले हमी तो है.
--mansoor ali hashmi
litrature, politics, humourous
Ghazal,
Mirror,
self introspection
Friday, July 27, 2012
वानप्रस्थ आश्रम !
वानप्रस्थ आश्रम !
दुष्करम(!) - सुफलम(?)
शुक्रवारी शुभम,
पुत्र-रत्न, प्राप्तम.
'डी.एन.ए.' बेरहम ,
तौड़ डाले भरम.
है विजित 'शेखरम',
बाप है बेशरम.
रास्ता इक बचा,
वानप्रस्थ आश्रम!
litrature, politics, humourous
DNA Test,
N.D.Tiwari,
Poem,
वानप्रस्थ आश्रम
Saturday, July 14, 2012
मान सरोवर [Mansoor's OVER !]
मानसर = मान सरोवर [ मनसूर ]
गिरता हुआ स्तर नज़र, आया है शिष्टाचार में,
'विद्यार्थी' शिक्षक से अब कहता है, मेरी 'मान Sir'.
'सागर' भी कहते 'झील' को, कोई 'नहर' तो 'मानसर',
'बहना' ही है इसका चरित्र, सर-सर-सरर, सर-सर-सरर.
'मानस' 'सरोवर' से मिला, ज्ञानी बना, जीवन सफल,
दुःख सह के जो 'तीरथ' गया, है कामयाब उसका सफ़र.
'मन्सूर' का भी लक्ष्य है, जीवन 'सरोवर' सा रहे,
ठहराव न आये कभी, कितनी भी मुशकिल हो डगर.
[मिलता उधार है यहाँ, शर्ते बड़ी आसानतर,
ले-ले क्रेडिट कार्ड और, तू एश से करना बसर.]
Note: {Pictures have been used for educational and non profit activies.
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mansoor ali hashmi
litrature, politics, humourous
कैलाश मानसरोवर
Tuesday, July 10, 2012
तब और अब
"मेरे दफ्तर में इक लड़की है , नाम है राधिका" ...पर........."पेरोडी"
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तब और अब
मेरे घर में एक पत्नी है, नाम है 'मलिका'
छः 'भय्यो' की 'बहना' है, वाह भई, वाह भई, वाह !
गोरी है, चिट्टी है, वाह भई, वाह भई, वाह.
सबसे पहले मिली जहां, 'हाजी-माँ' का घर था,
इंटरव्यू के लिए गया, लेकिन मन में डर था,
छः 'सालों' की फ़ौज खड़ी थी, वाह भई, वाह भई, वाह!
चाय लिए जब आई पहने 'हरा दुपट्टा'; व़ो ,
हाथों में कम्पन थी उसके, मन में था खटका,
मार के लाई थी 'बालाई'* वाह भई, वाह भई वाह !
*बालाई= मलाई
बालाई नदारद , चीनी कम डलती है,
'कप' भी अपना ख़ुद धोते है, वाह भई, वाह भई, वाह !
Note: {Pictures have been used for educational and non profit activies.
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-- mansoor ali hashmi
litrature, politics, humourous
a Parody,
तब और अब,
हरा दुपट्टा
Thursday, July 5, 2012
con (कण) CERN
con (कण) CERN
-- mansoor ali hashmi
कितने टनों को तौड़ कर इक 'कण' को पा लिया है,
हर्षित है दुनिया वाले, 'जीवन' को पा लिया है !
कण-कण में था वो पहले, अब 'कण' वो बन गया है,
भगवन ने भी अब अपने 'भगवन' को पा लिया है !!
Note: {Pictures have been used for educational and non profit activies.
If any copyright is violated, kindly inform and we will promptly remove the picture.}-- mansoor ali hashmi
litrature, politics, humourous
CERN,
GOD PARTICLE,
SATYENDRA NATH BOSE,
SECRET OF UNIVERSE
Wednesday, June 27, 2012
पैसे वसूल
पैसे वसूल
खेल; अभी जारी, मगर पैसे वसूल !
जो नहीं हासिल लुभाता है बहुत,
मिल गया जो वह तो बस मानिन्दे धूल.
हो रही बातें , परिवर्तन की फिर ,
अबकि तो बस, हो फ़क़त आमूल-चूल.
सख्त हो कानून सबके वास्ते,
ख़ुद पे बस लागू न हो कोई भी 'रूल'.
है निरंतर, नेको- बद में एक जंग,
'बू-लहब'* जब भी हुए, आए रसूल. *[बद किरदार]
.
'हॉट' थे जो 'केक' , बासी हो रहे,
बेचते है अब वो 'ठंडा' , कूल-कूल.
'बाबा' हो कि 'पादरी' या 'मौलवी'*, [*निर्मल, पॉल वगैरह जैसे]]
कर रहे है बात सब ही उल-जलूल,
तोड़ते, खाते, पचाते भी दिखे;
फ़ल - जिन्होंने बोये थे केवल बबूल.
खाए-पीये बिन ही जो तोड़े ग्लास,
बेवजह ही देते है बातों को तूल*, [*विस्तार ]
'ब्याज' से 'नेकी' कमा कर, ख़ुश बहुत ,
मुफ्त का 'आया', 'गया' बाक़ी है मूल.
--mansoor ali hashmi
litrature, politics, humourous
Compromise,
hypocrisy,
ढोंग
Tuesday, June 5, 2012
चर्चा के वास्ते अभी 'पर्यावरण' तो है !
चर्चा के वास्ते अभी 'पर्यावरण' तो है !
[अजित वडनेरकरजी की आज की पोस्ट "कुलीनों का पर्यावरण" से प्रभावित]
इज्ज़त बची हुई कि कोई 'आवरण' तो है,
'प्रदूषित' वर्ना अपने सभी आचरण तो है.
"चर्चा" कुलीन अब नहीं करते ग़रीब की,
स्तर बुलंद जिसका वो ''पर्यावरण'' तो है.
सुनते है आजकल ये बहुत ही ख़राब है,
'माहौल' जिसका नाम वो 'वातावरण' तो है.
मरते नहीं कि शर्म ही अब मर चुकी जनाब,
'अनशन' का उनके नाम मगर 'आमरण' तो है.
'बाबा' किसी के हाथ में आते नहीं मगर,
हाथों के अपनी पहुँच में उनके 'चरण' तो है.
'बाबी' भी अब तो मिल गयी है, 'राधे' नाम की,
'बाबाओं' से निराश ! तो कोई शरण तो है.
बदले है अर्थ, प्रथा तो जारी है आज भी,
'रस्मो' के साथ ही सही, 'चीर-हरण' तो है.
[हुस्नो जमाल उम्र की जब नज्र* हो गए, *[भेंट]
शौखी भरी अदा है, अभी बांकपन तो है.]
--mansoor ali hashmi [from Kuwait]
litrature, politics, humourous
Changing Values,
Environment,
राधे माँ
Tuesday, May 29, 2012
क्या कह रहे है आप !
"कमाल तकियाकलाम का"- वडनेरकर जी के 'तकिये' पर मेरा 'कलाम' मुलाहिजा फरमाए:-
क्या कह रहे है आप !
[तकिया कलाम मुझको बहुत नापसंद है,
सुनलो ! कि अपनी बात मै दोहराता नहीं हूँ.]
फिक्सिंग का बोल-बाला है, "क्या कह रहे है आप !"
'छक्के' पे नाचे 'बाला' है, "क्या कह रहे है आप !"'
सच्चे का मुंह काला है, "क्या कह रहे है आप !"
डाकू के हाथ 'माला' है, "क्या कह रहे है आप !"
'ठंडा', 'गरम-मसाला' है, "क्या कह रहे है आप !"
'नेता' भी उनका 'साला' है, "क्या कह रहे है आप !"
'रुपया' हमारा 'काला' है, "क्या कह रहे है आप !"
'बाबाओं' से घोटाला है, "क्या कह रहे है आप !"
'आदर्श'{!} इकत्तीस 'माला' है, "क्या कह रहे है आप !"
'मुन्सिफ' के मुंह पे ताला है, ''क्या कह रहे है आप !"
लैला ने कुत्ता पाला है, "क्या कह रहे है आप !"
पक्की सड़क पे नाला है, "क्या कह रहे है आप !"
'मन-मोहिनी' दिवाला है, "क्या कह रहे है आप !"
'धंधा' तो बस, 'हवाला' है, "क्या कह रहे है आप !"
'निर्मल' बड़ा निराला है, "क्या कह रहे है आप !"
चारो तरफ ही "जाला" है, "सच कह रहे है आप !"
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चौपाई
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'तकिया' करे 'कलाम' पे फिर चाहते है 'वो'*, *[BJP]
पहले भी ख़ूब गुज़री है, इस 'मेजबाँ' के साथ,
'दादा*-व्-संगमा' तो है "थैली" से एक ही ! *[प्रणब]
शायद के 'पलटे दिन' भी, फिर इस मेहरबाँ के साथ !! ------------------------------ ------------------------------
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mansoor ali hashmi
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current affairs
Sunday, May 27, 2012
रूपये की व्यथा
रूपये की व्यथा
गिर कर भी मैं हारा नहीं
उठता रहा, चलता रहा,
घटता हुआ रुपया हूँ मैं,
डॉलर से बस दबता रहा.
अपनों ने ही काला किया,
मैं था खरा, खोटा किया,
उसने किया है बेवतन,
जिनको सदा पाला किया.
वापस मुझे ले आईये,
इज्ज़त मुझे दिलवाईये,
"अर्थ" इक नया मिल जायेगा,
फिर से मुझे अपनाईये.
--mansoor ali hashmi
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litrature, politics, humourous
Agony of Rupee,
Black Money
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