"मेरे दफ्तर में इक लड़की है , नाम है राधिका" ...पर........."पेरोडी"
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तब और अब
मेरे घर में एक पत्नी है, नाम है 'मलिका'
छः 'भय्यो' की 'बहना' है, वाह भई, वाह भई, वाह !
गोरी है, चिट्टी है, वाह भई, वाह भई, वाह.
सबसे पहले मिली जहां, 'हाजी-माँ' का घर था,
इंटरव्यू के लिए गया, लेकिन मन में डर था,
छः 'सालों' की फ़ौज खड़ी थी, वाह भई, वाह भई, वाह!
चाय लिए जब आई पहने 'हरा दुपट्टा'; व़ो ,
हाथों में कम्पन थी उसके, मन में था खटका,
मार के लाई थी 'बालाई'* वाह भई, वाह भई वाह !
*बालाई= मलाई
बालाई नदारद , चीनी कम डलती है,
'कप' भी अपना ख़ुद धोते है, वाह भई, वाह भई, वाह !
Note: {Pictures have been used for educational and non profit activies.
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-- mansoor ali hashmi