कुछ तो है नाम में!
नाम से धाम* जुड़े उससे तो पहचान मिले,
नाम से काम जो जुड़ जाये तो सम्मान मिले,
श्री बन जाये मति उसको श्रीमान मिले.
'काम' हो जाये सफल उससे तो संतान मिले.
मिलते-मिलते ही मिला करती है शोहरत यारों,
नाम ऊंचा उठे; 'स्वर्गीय' जो उपनाम मिले.
नाम बदले से बदल जाती है तकदीर भी क्या?
भूल* कर बैठे तो 'बाबा' से क्यों इनआम मिले!
नाम बदनाम भी होते हुए देखे हमने,
ख़ाक होते हुए इंसानों के अरमान मिले.
*धाम=स्थान
* भूल= CST को VT कहने की
-मंसूर अली हाश्मी
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