फ़िल्म तो 'आप' की खूब झक्कास है !
बनके झाड़ू सफाई करी 'आप' ने
उसको संबल मिला है तो इक 'हाथ' से !
परिभाषित नए शब्द होने लगे,
'आप' कहते है कि 'आम' ही 'ख़ास' है।
कौन कहता है ,"दिल्ली बहुत दूर है"?
आपके पास है, 'आप' के पास है।
'पंजा' बेदम ! 'कमल' भी बिखर जाएगा
उनके वि'शवास'* को तो ये विशवास है। *कुमार विशवास
अब तो 'अण्णा' भी कायल हुए 'आप' के
'बाबा राहुल' ने भी कर दिया पास है।
-Mansoor ali Hashmi