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Saturday, July 6, 2013

कैसा यह "घाव" लगा ?





कैसा यह "घाव" लगा ?

'अस्सी' के पार जाके ये अभ्यास किया है,

'नारी' के बिन भी 'काम' का प्रयास किया है,
नारी की अस्मिता की 'हिफाज़त' ही की खातिर,
'हेट्रिक' से ठीक पहले ही 'संन्यास' लिया है. 

'जोरू' तो साथ दे रही; 'ज़र'* तो चला गया !          *[वित्त मंत्रालय]
हाए ! ये अंतिम उम्र में कैसा गज़ब हुआ !!  

-- mansoor ali hashmi