शौरे खमोशा !
एक इस छोर , एक है उस छोर,
गाड़ी आगे बढ़े तो अब कैसे ?
दोनो जानिब ही लग रहा है ज़ोर !
'अन्ना' खामोश, 'आडवानी' मुखर,
एक बैठे है, एक मह्वे सफर,
इक* पिटे, दूजे* को भी; लगता डर,
आई 'आज़ान' अल्लाहो-अकबर !
* प्रशान्त भूषण, * केजरीवाल
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-Mansoor ali Hashmi