डरते थे जिनसे वो ही हवलदार हो गया !
नेता को छींक आयी; लो ! अखबार हो गया,
पी चाय; फिर से सोने को तैय्यार हो गया।
'गुड मॉर्निंग', प्रणाम से, 'गुड नाइ-ट' तलक
अब 'फेसबुक' ही देखिये संसार हो गया।
टी. आर. पी. बढ़ी है तो चैनल हुए निहाल
अब तो 'बलात कार' भी व्यापार हो गया।
सेंसेक्स उछला, रूपये की औक़ात भी बढ़ी,
मरियल जो कल तलक था वो दमदार हो गया।
'विकटे' गिरा के यू. पी. की अच्छी रही फसल,
'पुणे' अब 'महाराष्ट्र' का बाज़ार* हो गया !
*जय 'बहुसंख्यकवाद'
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--मन्सूर अली हाशमी