ये तो नही चमचागिरी !
उसने कहा करता है क्या ?
मैंने कहा, ब्लागिरी....
उसने कहा मिलता है क्या?
मैंने कहा शोहरत बढ़ी!
उसने कहा लिखता है क्या?
मिथ्या ही सब, मिथ्या गिरी!
उसने कहा पढ़ता है कौन?
मैंने कहा 'उड़न-तश्तरी !
उसने कहा सीखा भी कुछ?
मैंने कहा दादागिरी!
उसने कहा "भैया प्रणाम" !
मैंने कहा बला टली!!
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--mansoor ali hashmi