ये नुस्ख़ा ज़रा आज़मा लीजिये !
दिया कम, ज़्यादा लिया कीजिये,
बचे तो 'स्विस' में जमा कीजिए.
['सुविधा जनक' थी 'स्विस' लेकिन अब-
तो 'मारिशिय्स' में जमा कीजिए.]
'नतीजे' से मतलब नहीं कुछ रहा,
अजी, आप 'फिक्सिंग' किया कीजिए.
नहीं कोई 'अध्यक्ष' मिलता अगर,
'नियम' ही नया फिर बना लीजिये.
बढ़े दाम तेलों के, घबराओ मत,
कभी सायकिल भी चला लीजिये.
जो 'टेबल के नीचे'* ही तय होना है, [* under the table]
घटा दीजिये, कुछ बढ़ा लीजिये.
अगर 'शाह' हो तो ये हंगामा क्यों ?
ज़रा 'रुख़' से पर्दा हटा लीजिये !
मिले 'मुफ्त' में ! रहम करना नहीं,
अजी, 'माल' सारा पचा लीजिये.
है बिजली की किल्लत तो पानी भी कम,
अजी, "धूप" में ही नहा लीजिये.
[है बीमार 'रूपया' सबर कीजिए,
दवा की जगह अब दुआ कीजिए.]
.--mansoor ali hashmi
7 comments:
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बढ़े दाम तेलों के, घबराओ मत,
कभी सायकिल भी चला लीजिये.
कल को कमीने सड़क पर चलने के भी पैसे वसूलने लगे तो …
…और जिताओ !
आग लगे मुफ़तख़ोरों के !!
आपकी रचनाओं से उथल-पुथल मच जाती है …
.
पेट्रोल के दाम में बढ़ोतरी....
रुपया अपने निम्न स्तर पर...
भ्रष्टाचार अपने उच्चतम स्तर पर...
इतना कुछ होते हुए भी देश मौन....
ए आम आदमी
मरना ही तेरी किस्मत में है...
क्यों कि तु लड़ना भूल गया है...
सहने के सिवा तुझे आता क्या है...
तटस्थ रहने की कीमत तुझे चुकानी पड़ेगी...
आगे आगे देख तेरे साथ होता है क्या...
बदन का कपड़ा तो उतरेगा ही...
लहू भी चूस लेगा यह नाज़िम...
देख लेना सुर्ख नोटों का लाल रंग
तेरे ही लहू से बनेगा...
ए आम आदमी
या तो तु इतिहास बन जा .....
या उठ जाग और लिख नया इतिहास
अपने पौरुष का....
कर इंक़लाब ...तु कर इंक़लाब....
कर इंक़लाब ...तु कर इंक़लाब....
फेसबुक पर एक सज्जन Manoj Joshi की वाल से साभार प्रस्तुत
इंकलाब आने को है :)
यूं तो सब बेहतर हैं पर ये कुछ खास लगे ! ज्यादा ही पसंद आये !
नतीजे' से मतलब नहीं कुछ रहा,
अजी, आप 'फिक्सिंग' किया कीजिए.
नहीं कोई 'अध्यक्ष' मिलता अगर,
'नियम' ही नया फिर बना लीजिये.
बढ़े दाम तेलों के, घबराओ मत,
कभी सायकिल भी चला लीजिये.
हम खुशनसीब है जो आपको पढ पा रहे हैं। आपको हमारी उम्र लग जाए। समय और समाज को आपकी आवश्यकता अधिक है।
सफलता का सूत्र!
Shaandar nuskha.
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