सरदर्द हो रहा है तो, तू 'झंडू बाम' ले !
अब आके 'फेसबुक' ही का दामन तू थाम ले।
अब 'ख़ास' बन के रहना तो आएगा नही रास,
आ, 'आप' की शरण में, तू इक नाम 'आम' ले।
गोली नयी है 'आम' की, मीठा है ज़ायक़ा ,
इसकी ख़ुराक रोज़ ही, तू सुब्ह-शाम ले।
दहशतगरी से तंग न कर इस जहान को,
इंसानियत का, अम्न का फिर से प्याम ले,
जब राम-राम कर के न सत्ता मिली तुम्हे ,
आ कर के काम-काम तू अपना ईनाम ले !
'बिजली' का रिश्ता 'पानी' से अब पक्का हो गया !
'दिल्ली' चला जा दोस्त, तू , मेरा सलाम ले।
महकूम 'आप' है अगर, हाकिम भी 'आप' ही,
पानी मुफ़त ले, बिजली भी तू आधे दाम ले।
क्या रट लगाए बैठा है, नव-वर्ष में 'हाश्मी',
पीछा तू छोड़ आज तो, मेरा प्रणाम ले !
-मंसूर अली हाश्मी
नव-वर्ष [२०१४] की हार्दिक बधाई , सभी ब्लॉगर्स एवं फेसबुकियों को।