Tuesday, July 10, 2012

तब और अब

"मेरे दफ्तर में इक लड़की है , नाम है राधिका" ...पर........."पेरोडी"
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तब और अब 











मेरे घर में एक पत्नी है, नाम है 'मलिका'
छः 'भय्यो' की 'बहना' है, वाह भई, वाह भई, वाह !
गोरी है, चिट्टी है, वाह भई, वाह भई, वाह.

सबसे पहले मिली जहां, 'हाजी-माँ' का घर था,
इंटरव्यू के लिए गया, लेकिन मन में  डर था,
छः 'सालों' की फ़ौज खड़ी थी, वाह भई, वाह भई, वाह!

चाय लिए जब आई पहने 'हरा दुपट्टा'; व़ो ,
हाथों में कम्पन थी उसके, मन में था खटका,
मार के लाई थी 'बालाई'* वाह भई, वाह भई वाह !

*बालाई= मलाई    






चाय बनाना अबतो, ख़ुद को ही पड़ती  है,
बालाई नदारद , चीनी कम डलती है,
'कप' भी अपना ख़ुद धोते है, वाह भई, वाह भई, वाह ! 
Note: {Pictures have been used for educational and non profit activies.
If any copyright is violated, kindly inform and we will promptly remove the picture.}
-- mansoor ali hashmi 

5 comments:

विष्णु बैरागी said...

सुनते हैं, बढती उमर में नजर कमजोर हो जाती है। लेकिन आप ऐसी बातों को झूठा सबित करते हैं। हमें आप पर गर्व तो है ही, आपका भरोसा भी है।

हाशमीजी हमारे पास हैं,
वाह भाई, वाह।

अजित वडनेरकर said...

ये नई उमंग कहाँ से आई
वाह भाई, वाह

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

वाह भई, वाह भई, वाह.

Shah Nawaz said...

Waah bhai waaaaaaaah.....

Udan Tashtari said...

वाह भई, वाह भई, वाह !