"मेरे दफ्तर में इक लड़की है , नाम है राधिका" ...पर........."पेरोडी"
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तब और अब
मेरे घर में एक पत्नी है, नाम है 'मलिका'
छः 'भय्यो' की 'बहना' है, वाह भई, वाह भई, वाह !
गोरी है, चिट्टी है, वाह भई, वाह भई, वाह.
सबसे पहले मिली जहां, 'हाजी-माँ' का घर था,
इंटरव्यू के लिए गया, लेकिन मन में डर था,
छः 'सालों' की फ़ौज खड़ी थी, वाह भई, वाह भई, वाह!
चाय लिए जब आई पहने 'हरा दुपट्टा'; व़ो ,
हाथों में कम्पन थी उसके, मन में था खटका,
मार के लाई थी 'बालाई'* वाह भई, वाह भई वाह !
*बालाई= मलाई
बालाई नदारद , चीनी कम डलती है,
'कप' भी अपना ख़ुद धोते है, वाह भई, वाह भई, वाह !
Note: {Pictures have been used for educational and non profit activies.
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-- mansoor ali hashmi
5 comments:
सुनते हैं, बढती उमर में नजर कमजोर हो जाती है। लेकिन आप ऐसी बातों को झूठा सबित करते हैं। हमें आप पर गर्व तो है ही, आपका भरोसा भी है।
हाशमीजी हमारे पास हैं,
वाह भाई, वाह।
ये नई उमंग कहाँ से आई
वाह भाई, वाह
वाह भई, वाह भई, वाह.
Waah bhai waaaaaaaah.....
वाह भई, वाह भई, वाह !
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