Friday, July 27, 2012

वानप्रस्थ आश्रम !


वानप्रस्थ आश्रम !

'एन. डी.' मोहतरम (!),
दुष्करम(!) - सुफलम(?)

शुक्रवारी शुभम,
पुत्र-रत्न, प्राप्तम.

'डी.एन.ए.' बेरहम ,
तौड़ डाले भरम.

है विजित 'शेखरम',
बाप है बेशरम.

रास्ता इक बचा,
वानप्रस्थ आश्रम!






Note: {Pictures have been used for educational and non profit activies.
If any copyright is violated, kindly inform and we will promptly remove the picture.
-Mansoor ali Hashmi

5 comments:

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

बहुत सुन्दर भाईजान, डिलीवरी का खर्च भारी भरकम ! :)

दिनेशराय द्विवेदी said...

सुंदरम् सुंदरम्!!!

सुज्ञ said...

कर्म बडे कुटिलम्
चरित्र बडा जटीलम्
कुदरत को मूर्ख जुठलाता
बीती उम्र में दुख पाता!!

विष्णु बैरागी said...

एन डी पर आपके करम,
बेरहम,बेरहम।

नीरज गोस्वामी said...

भाई जान, आपके ब्लॉग पर देरी से आने के लिए पहले तो क्षमा चाहता हूँ. कुछ ऐसी व्यस्तताएं रहीं के मुझे ब्लॉग जगत से दूर रहना पड़ा...अब इस हर्जाने की भरपाई आपकी सभी पुरानी रचनाएँ पढ़ कर करूँगा....कमेन्ट भले सब पर न कर पाऊं लेकिन पढूंगा जरूर

इस रचना में आपने कमाल किया है...पूरे ब्लॉग जगत में आप अनोखे हैं...मेरा सलाम कबूलें

नीरज