हो..... गया !
रजत, तांबा जो था भसम हो गया.
पढ़ा ख़ूब 'कलमा दि'लाने पे जीत,
"विलन", सौत* का फिर बलम हो गया. *[सत्ता]
लगी दांव पर आबरूए वतन,
रवय्या तभी तो नरम हो गया.
चला जिसका भी बस लगा डाला कश,
'हज़ारेक' करौड़ी चिलम हो गया.
है मशहूर मेहमाँ नावाज़ी में हम,
बियर की जगह, व्हिस्की-रम हो गया.
सितारों से रौशन रही रात-दिन,
ये दिल्ली पे कैसा करम हो गया.
कमाई में शामिल 'विपक्षी' रहे,
'करोड़ों' का ठेका ! क्या कम हो गया?
निकल आया टॉयलेट से पेपर का रोल*,
यह वी.आई.पी. 'हगना' सितम हो गया.
[*एक रोल ४१०० में खरीदा गया?]
-- mansoorali hashmi
-- mansoorali hashmi