गणेश चतुर्थी के शुभ अवसर पर सभी ब्लागर साथियो और देश वासियों को हार्दिक बधाई.
पटाखा छोड़ा, निकली 'सुरसुरी' है !
लड़ाई ये हमारी ख़ुद से ही है,
ये 'रिश्वत' तो हमी ने दी है, ली है.
मिले जो 'आश्वासन' सब हसीं है,
मगर उसमे भी लगती कुछ कमी है.
बनाया इसको जनता ने सही पर,
ये 'संसद' अब तो उससे भी बड़ी है.
कभी 'टूटा', कभी 'तोड़ा' गया है,
है 'अनशन' तो पुराना, रुत नई है.
वो 'टोपी' जिससे नफरत हो रही थी,
उसे 'अन्ना' की खातिर पहन ली है.
'चतुर्थी', 'ईद', पर्युशन' का मौसम,
अमन है, शान्ति है, ज़िन्दगी है.
न हाकी, रेस, न ही भांगड़ा है,
प्राजी!*, ये घड़ी क्यों रुक गयी है. *[पंजाब वासी]
सियासत ही में बाज़ी आजमाए,
दिगर खेलो में हारा 'हाशमी' है.
-मंसूर अली हाशमी