संकल्प [अज़्म]
गर अज़्म अमल* में ढल जाए,
हर मौज किनारा बन जाए।
हिम्मत न अगर इन्साँ हारे,
हर मुशकिल आसाँ हो जाए।
गर आदमी रौशन दिल करले,
दुनिया में उजाला हो जाए।
इन्सान जो दिल को दिल कर ले,
हर दिल से नफ़रत मिट जाए।
जो दिल ग़म से घबराता है;
वह जीते-जी मर जाता है,
जो काम न आए दुनिया के;
वह हिर्सो-हवस# का बन्दा है।
*कार्यान्वयण
# लालच व स्वार्थ
म.हाशमी।
1 comment:
'गर अज़्म अमल में ढल जाए,
हर मौज किनारा बन जाए।'
-सुंदर पंक्तियाँ.
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