हर जगह मेरा जुनूँ रुसवा हुआ !
# विष्णु बैरागी ने जब फतवे पे इक 'फ़तवा'* दिया, *एकोऽहम्/ अज्ञान का आतंक
चौंके पंडित और मुल्ला भी अचंभित रह गया.
# हर गली हर मोड़ पर अन्ना पढ़ा, अन्ना सुना,
भ्रष्ट चेहरों पर मगर आई नज़र मक्कारियां.
# "खेल ये क्रिकेट हमारा है", बड़ी अच्छी तरह,
घर बुला कर हमको गौरो ने तो बस समझा दिया.
# दासता से मुक्त गांधी ने अगर करवाया तो,
मुश्किलों के वक़्त में जे.पी. कभी अन्ना मिला.
# नाम अपने देश का जग में बहुत चमका दिया,
कैग [CAG] कहता है ज़रूरत से अधिक खर्चा किया.
# सबसे ज़्यादा है अगर दौलत तो 'भगवानो' के पास !
'नास्तिक' तू गुमरही में अब तलक भटका हुआ !!
# भीड़ से बचने को 'आरक्षण' ज़रूरी है अगर,
क्या हुआ ! मैंने जो अपना आज 'रक्षण' कर लिया?
# I.A.S. और I.P.S. , 'प्रदेश' से बढ़ कर नही,
जो 'गुजरता' जा रहा था क़ैद* क्यूँ उसको किया ? *Record
-Mansoor ali Hashmi