T.R.P. बढ़ाने को लाये क्या 'सीन' है !
पंद्रह की हो गयी है, बला की हसीन है,
पंद्रह की हो गयी है, बला की हसीन है,
Fixing पे 'काम्बली' को अभी तक यकीन है.
Message मिल रहा है हवाओं से 'Ball' को,
'पैसों' से खेलती अब 'रनों की मशीन' है.
'प्लेयर' को देर से सही आया है होश तो,
'बोर्ड' अपना, कुंभ्क्रनीय निंद्रा में लीन है.
कोहरे की ज़द में आ गया दिल्ली पहुँच के 'रथ'
'PM in Waiting' है कि यहाँ तीन-तीन है.
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mansoor ali hashmi