Sunday, October 16, 2011

Silent Cry !


शौरे खमोशा !
   'येद्दु' Indoor, 'रथ'  है outdoor,
      एक इस छोर , एक है उस छोर,
      गाड़ी आगे बढ़े तो अब कैसे ?  
      दोनो जानिब ही लग रहा है ज़ोर !



   'अन्ना' खामोश, 'आडवानी' मुखर,
     एक बैठे है, एक मह्वे सफर,
     इक* पिटे, दूजे* को भी; लगता डर,
     आई 'आज़ान' अल्लाहो-अकबर !  

 * प्रशान्त भूषण,  * केजरीवाल



Note: {Pictures have been used for educational and non profit activies. If any copyright is violated, kindly inform and we will promptly remove the picture.}
-Mansoor ali Hashmi

13 comments:

उम्मतें said...

जेल जाके उसके सीने में दरद जो हो गया
गौड़ा दौड़ा हास्पिटल और चंद आंसू रो गया


बोलने वालों को पीटा क्या कि लौंडे हिट हुए
टीम अन्ना में मियां अन्ना ही खुद मिसफिट हुए :)

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार said...




शोरे-ख़मोशा ! के जरिए फिर से आपने कइयों की ख़बर ली है … :)
मंसूर चचा जान

मुबारकबाद !

त्यौंहारों के इस सीजन सहित
आपको सपरिवार
दीपावली की अग्रिम बधाइयां !
शुभकामनाएं !
मंगलकामनाएं !

-राजेन्द्र स्वर्णकार

दिनेशराय द्विवेदी said...

आप का किया ये पदबद्ध तबसरा। इंतजार रहता है, रोज इस का।

Udan Tashtari said...

behtareen...

Madhu Tripathi said...

chacha ji
mai to nasamajh hoo in politics ko samajh nahi pati aapne asli bat batayee
madhu tripathiMM
tripathi873@gmail.com

विष्णु बैरागी said...

आप लोगों को उकसाने का आत्‍मघाती काम कर रहे हैं। , खुदा खैर करे।

केवल राम said...

एक इस छोर , एक है उस छोर,
गाड़ी आगे बढ़े तो अब कैसे ?
दोनो जानिब ही लग रहा है ज़ोर !

बेहतरीन .....!

Udan Tashtari said...

ओहो!!! इतना न सताओ!!

Sunil Kumar said...

आपकी काव्यमय रिपोर्ट अच्छी लगी ....

Shah Nawaz said...

Zabardast!

Unknown said...

आपकी कविताएँ सराहनीय हैं ।

Unknown said...

आपने हमें जगा दिया हैं...

Unknown said...

आपकी रचनाएँ युवा समाज को प्रेरित करती हैं....