शौरे खमोशा !
एक इस छोर , एक है उस छोर,
गाड़ी आगे बढ़े तो अब कैसे ?
दोनो जानिब ही लग रहा है ज़ोर !
'अन्ना' खामोश, 'आडवानी' मुखर,
एक बैठे है, एक मह्वे सफर,
इक* पिटे, दूजे* को भी; लगता डर,
आई 'आज़ान' अल्लाहो-अकबर !
* प्रशान्त भूषण, * केजरीवाल
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-Mansoor ali Hashmi
13 comments:
जेल जाके उसके सीने में दरद जो हो गया
गौड़ा दौड़ा हास्पिटल और चंद आंसू रो गया
बोलने वालों को पीटा क्या कि लौंडे हिट हुए
टीम अन्ना में मियां अन्ना ही खुद मिसफिट हुए :)
♥
शोरे-ख़मोशा ! के जरिए फिर से आपने कइयों की ख़बर ली है … :)
मंसूर चचा जान
मुबारकबाद !
त्यौंहारों के इस सीजन सहित
आपको सपरिवार
दीपावली की अग्रिम बधाइयां !
शुभकामनाएं !
मंगलकामनाएं !
-राजेन्द्र स्वर्णकार
आप का किया ये पदबद्ध तबसरा। इंतजार रहता है, रोज इस का।
behtareen...
chacha ji
mai to nasamajh hoo in politics ko samajh nahi pati aapne asli bat batayee
madhu tripathiMM
tripathi873@gmail.com
आप लोगों को उकसाने का आत्मघाती काम कर रहे हैं। , खुदा खैर करे।
एक इस छोर , एक है उस छोर,
गाड़ी आगे बढ़े तो अब कैसे ?
दोनो जानिब ही लग रहा है ज़ोर !
बेहतरीन .....!
ओहो!!! इतना न सताओ!!
आपकी काव्यमय रिपोर्ट अच्छी लगी ....
Zabardast!
आपकी कविताएँ सराहनीय हैं ।
आपने हमें जगा दिया हैं...
आपकी रचनाएँ युवा समाज को प्रेरित करती हैं....
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