'मुंह की खाने' की बात करते हो?  
लिख-लिखाने की बात करते हो,
किस ज़माने की बात करते हो?
'कट' करो 'पेस्ट' उसको कर डालो,
स्याही-कागज़ ख़राब करते हो ?
काम ज़्यादा है, वक़्त की किल्लत,
क्यों पढ़ाने की बात करते हो?
अपनी-अपनी ख़बर तो सब को है,
आईना तुम क्यों साफ़ करते हो?
'चुक' कहीं तो नहीं गया है, 'ज्ञान',
आज़माने की बात करते हो !
'सोच' पर इक 'जुमूद'* सा तारी,        *[ जम जाना]
'उड़'* के जाने  की बात करते हो?      *[विचारो की उड़न तश्तरी में] 
हो 'विवादास्पद' ही लेख कोई,
गर 'कमाने'* की बात करते हो.            *[चटके बढ़वा कर]  
-Mansoor ali Hashmi
 

 
 











