एक 'रपट' फिर लीक हो गयी,
हार किसी की जीत हो गयी.
देर से आई, ख़ैर न लायी,
कैसे भी कम्प्लीट हो गयी.
तोड़-फोड़ तो एक ही दिन की,
'सत्रह साली' ईंट* हो गयी.
संसद पर जो भी गुज़री हो,
'अमर-वालिया' meet हो गयी.
हो न सका 'कल्याण' जो खुद का,
मंदिर से फिर प्रीत हो गयी.
बड़े राम से , निकले नेता,
बिगड़ी बाज़ी ठीक हो गयी.
*ईंट= निर्माण के लिए बनायी गयी.
-मंसूर अली हाशमी