Monday, October 12, 2009

This Year

समझौता

वातावरण में शोर न पैदा करेंगे हम,
दिल के दीये जला के उजाला करेंगे हम.

फोड़ा पटाखा,फहरा पताका है चाँद पर,
दीपावली वही पे मनाया करेंगे हम.

कुर्बानियां तो ईद की करते है बार-बार,
खुद को भी अपने देश पे कुर्बां करेंगे हम.

पटरी से रेल उतर गई, इंजन बदल गया,
भैय्या! कुछ-एक बरस तो अब चारा चरेंगे हम.

'छठ' हम मना न पायेंगे दरया* में अबकी बार,
चौपाटी पर दुकाँ तो लगाया करेंगे हम.

९ के मिलन के साल में नैनो नही मिली,
नयनो में उनको अपनी बिठाया करेंगे हम.

*समुन्द्र
-मंसूर अली हाशमी

9 comments:

Unknown said...

मज़ा आया भाई जान !

बड़े सलीके से आपने बहुत सी बातें इशारों में कह दी..........

उम्दा शे'र .............बेहतरीन ग़ज़ल .........

बधाई !

संगीता पुरी said...

बहुत बढिया .. सुदर रचना के लिए बधाई !!

Anonymous said...

gr8

अजित वडनेरकर said...

लाजवाब है..
नैनो की बजाय नैनो में तो हमेशा बिठाए रखा जा सकता है। गोकि इस नवाज़िश के मायने भी उन्हें समझ आने चाहिए....

नीरज गोस्वामी said...

कुर्बानियां तो ईद की करते है बार-बार,
खुद को भी अपने देश पे कुर्बां करेंगे हम.

बेहतरीन...रचना...बधाई...
नीरज

Science Bloggers Association said...

बडे गजब के शेर लिखे हैं आपने। आपकी कल्पनाशक्ति गजब की है।
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यादों का इंद्रजाल said...

वातावरण में शोर न पैदा करेंगे हम,
दिल के दीये जला के उजाला करेंगे हम.

भले लगे आपके शेर!

~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
आप को दीपावली की शुभकामनायें!
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

Udan Tashtari said...

बेहतरीन!!

सुख औ’ समृद्धि आपके अंगना झिलमिलाएँ,
दीपक अमन के चारों दिशाओं में जगमगाएँ
खुशियाँ आपके द्वार पर आकर खुशी मनाएँ..
दीपावली पर्व की आपको ढेरों मंगलकामनाएँ!

-समीर लाल ’समीर’

हरकीरत ' हीर' said...

फोड़ा पटाखा,फहरा पताका है चाँद पर,
दीपावली वही पे मनाया करेंगे हम.

बहुत खूब ....!!

९ के मिलन के साल में नैनो नही मिली,
नयनो में उनको अपनी बिठाया करेंगे हम.

मंसूर जी कमाल .....!!