टी. वी. चेनल्स
खबरों के कुछ चेनल बीमार नज़र आते है,
खबरों के कुछ चेनल बीमार नज़र आते है,
इनमे से कुछ लोकल अखबार नज़र आते है.
बिग बोसों के छोटे कारोबार नज़र आते हैं,
छुट-भय्यो को,हर दिन त्यौहार नज़र आते है.
नोस्त्रोद्र्म के चेले तो बेज़ार नज़र आते है,
प्रलय ही के कुछ चेनल प्रचार नज़र आते है.
कुछ चेनल तो जैसे कि सरकार नज़र आते है,
मिनिस्टरों से भरे हुए दरबार नज़र आते है.
घर का चेन भी लुटते देखा है इसकी खातिर,
आतंक ही का ये भी एक प्रसार नज़र आते है.
इतने पास से दूर का दर्शन ये करवाते है,
संजय* जैसे भी कुछ तारणहार नज़र आते है.
भविष्य फल पर टिका हुआ, अस्तित्व यहाँ देखा,
नादानों को दिन में भी स्टार* नज़र आते है.
चीयर्स बालाओं से शोहरत* का घटना-बढ़ना,
खेल-कूद में कैसे दावेदार नज़र आते है!
नूरा कुश्ती, फिक्सिंग के मतवालों की जय-जय,
झूठ को सच दिखलाने को तैयार नज़र आते है.
'श्रद्धा' से 'आस्थाओं' से हो कर ओत-प्रोत,
धर्म के रखवाले यहाँ सरशार* नज़र आते है.
*संजय=दूर द्रष्टा[महा भारत के एक पात्र]
*सितारे
*शोहरत=टी.आर.पी.
*सरशार=मस्त
-मंसूर अली हाशमी
4 comments:
आप ने तो कहने को कुछ छोड़ा ही नहीं।
बेहतरीन--सब तो कवर हो गया!!
खबरों के कुछ चेनल बीमार नज़र आते है,
yakinan kabil-e-daad
aapke blog ke bare m devesh mishra ji ke blog se jaankari mili
good
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