ब्लागियात-११
ब्लोग्स पर comments देने की बजाय सीधे 'blog' ही के माध्यम से लेखक से सीधे-सीधे वार्तालाप कर लेने का तरीका मैंने इसलिए अपनाया ताकि 'लेख' और लेखक के प्रति उत्पन्न हुई ख़ुद की समझ को विस्तार दे सकूं, यदि कुछ ग़लत समझा हो तो निराकरण भी हो जाए. किसी से "बहुत बढ़िया" का दो शब्दों का comment लेकर ठीक से पता नही चलता की "क्या" बढ़िया?
एक भाई का यह सुझाव भी अच्छा है की प्रति दिन कम-अज-कम १० कमेंट्स देवे .ठीक है, परन्तु कम मगर विस्तृत कमेंट्स पर भी विचार होना चाहिए, कुछ विषयों का यह तकाज़ा होता है.
आज ब्लोगर्स की रूचि, विषयों की विविधता और किसी बात का तत्काल सम्पूर्ण विश्व में पहुँच जाना ....लेखकीय विश्व का बहुत बड़ा इन्किलाब है, जिसने ब्लोगिंग को आकर्षक और लोकप्रिय बना दिया है.
इस विषय पर ब्लोग्गेर्स और वाचको के मत आमंत्रित है, धन्यवाद.
-मंसूर अली हाश्मी
1 comment:
यही तरीका सब अपनाएंगे तो आप के यहाँ टिप्पणी कहाँ से आएगी?
आप अपने विचार टिप्पणी के रूप में चाहते हैं या फिर इस विषय पर विचार व्यक्त करने वालों की अपने अपने ब्लाग पर पोस्टों के बारे में?
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