Thursday, September 1, 2011

SEASON'S GREETINGS


गणेश चतुर्थी के शुभ अवसर पर सभी ब्लागर साथियो और देश वासियों को हार्दिक बधाई. 
पटाखा छोड़ा, निकली 'सुरसुरी' है !
लड़ाई ये हमारी ख़ुद से ही है,
ये 'रिश्वत' तो हमी ने दी है, ली है.

मिले जो 'आश्वासन' सब हसीं है,
मगर उसमे भी लगती कुछ कमी है.

बनाया इसको जनता ने सही पर,
ये 'संसद' अब तो उससे भी बड़ी है.

कभी 'टूटा', कभी 'तोड़ा' गया है,
है 'अनशन' तो पुराना, रुत नई है.

वो 'टोपी' जिससे नफरत हो रही थी,
उसे 'अन्ना' की खातिर पहन ली है.

'चतुर्थी', 'ईद', पर्युशन' का मौसम,
अमन है, शान्ति है, ज़िन्दगी है.

न हाकी, रेस, न ही भांगड़ा है,
प्राजी!*, ये घड़ी क्यों रुक गयी है.        *[पंजाब वासी]

सियासत ही में बाज़ी आजमाए,
दिगर खेलो में हारा 'हाशमी' है.

-मंसूर अली हाशमी 

6 comments:

आपका अख्तर खान अकेला said...

mansur bhai apne to gagar me saagr bhrdiya hai ..akhtar khan akela kota rajsthan

विष्णु बैरागी said...

यूँ ही नहीं लिखते हाशमीजी,
असर उसका होना लाजमी है।

ये ईद, ये चतुर्थी, ये दशहरा,
खुश है आसमॉं, बहुत खुश जमीं है।

वाह। वाह। करने को मजबूर कर दे,
और कोई नहीं, हमारा 'हाशमी' है।

दिनेशराय द्विवेदी said...

हाशमी जी,
ये पखवाड़ा, कृषि संबंधी अनुष्ठानों का है।
नागर समाज ने इन अनुष्ठानों को अपनी रुचि से नए रूप दिए हैं।
इस वर्ष बरसात अच्छी हुई है, भरपूर फसलें हों। देशवासियों के जीवन में खुशियाँ आएँ। यही कामना है।
लेकिन यह व्यवस्था खुशियों को छीन ले जाती है।
आप ने सही कहा है ...
न हाकी, रेस, न ही भांगड़ा है,
प्राजी!, ये घड़ी क्यों रुक गयी है.

Udan Tashtari said...

गणेश चतुर्थी के शुभ अवसर पर हार्दिक बधाई.

Udan Tashtari said...

तस्वीर तो माशाल्लाह भरपूर जवान है....गज़ब ढा रहे हैं...कुछ स्पेस हमारे लिए भी छोड़िये महाराज!!!

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

बहुत खूब।

शायद आपने ब्‍लॉग के लिए ज़रूरी चीजें अभी तक नहीं देखीं। यहाँ आपके काम की बहुत सारी चीजें हैं।