'आत्ममंथन' यानि .......... 'हाशमी उवाच' ! "बक रहा होश मैं हूँ सुन लीजे फिर कहाँ आप, हम कहाँ होंगे ?" ......Shaikh Mansoor ali Hashmi
वाह मंसूर भाई,आप ने तो हमारी पोल ही खोल दी। क्या डाक्टर? क्या वकील? और क्या ज्योतिषी? तीनों का धंधा इसी पे चल रहा है।
शुभकामनाएं !
वाह, बहुत खूब. सच्चाई यही है.
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3 comments:
वाह मंसूर भाई,
आप ने तो हमारी पोल ही खोल दी।
क्या डाक्टर? क्या वकील? और क्या ज्योतिषी? तीनों का धंधा इसी पे चल रहा है।
शुभकामनाएं !
वाह, बहुत खूब. सच्चाई यही है.
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