झूठा सच
False ceiling लगाना ज़रूरी है अब,
फ़र्श के साथ छत भी सजा लीजिये,
अब जो उल्टे चलन का ज़माना है यह,
पांव छत पर भी रख कर चला कीजिये ।
पहले ज़ीनत का दर्जा बुलन्दी पे था,
अब तो दर्जा -ब-दर्जा वो पस्ती पे है,
टोपी-पगडी हो सर पर ज़रूरी नही,
शूज़ पर अपने पालिश लगा लीजिये।
लेफ़्ट ही तो है राइट मैरे देश मे,
गाडी जिस सिम्ट चाहें घुमा लीजिये,
है लचक भी तो कानून मे इस कदर,
गाडी फ़ुटपाथ पर भी चढ़ा दीजिये।
ज़र्फ़ की है कमी,तर्क चलते नही,
हर किसी से न यारो वफ़ा कीजिये,
धर्म को भी दया से नही वास्ता,
हो सके तो बुरे से भला कीजिये।
मन्सूर अली हशमी
4 comments:
मन्सूर भाई बहुत दिनों में नजर आए। मगर रचना शानदार है। सच को जिस सुंदरता से बयान किया है वह काबिले तारीफ है।
masur bhai
achchi de di hai
ulat sawaari
ab kam barish ki baari
ped jo kataa diye
gadhe pe ulte baithenge
ab kalaa muh bhi kiye
लेफ़्ट ही तो है राइट मैरे देश मे,
गाडी जिस सिम्ट चाहें घुमा लीजिये,
है लचक भी तो कानून मे इस कदर,
गाडी फ़ुटपाथ पर भी चढ़ा दीजिये।
वाह क्या सटीक अभिव्यक्ति है। धन्यवाद्
बहुत सही..यही जमाना है.
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