Sunday, October 12, 2008

भाई का डर

दिनेश राय जी द्विवेदी के लेख से प्रभावित हो कर्……।


है विषय आपका लाँ & ओँर्डर,
ज़िक्र करते है हम सभी अक्सर,
व्याख्या आपकी बहुत सुन्दर,
"भाई" कह्ते है-ला… नही तो डर्।*

[*लाँ or डर]

मन्सूर अली हाशमी

3 comments:

दिनेशराय द्विवेदी said...

वाह मंसूर भाई,
आप ने तो हमारी पोल ही खोल दी।
क्या डाक्टर? क्या वकील? और क्या ज्योतिषी? तीनों का धंधा इसी पे चल रहा है।

Satish Saxena said...

शुभकामनाएं !

Unknown said...

वाह, बहुत खूब. सच्चाई यही है.