लिखना ज़रूरी है !
लिखो कुछ भी; वो पढ़ने आयेंगे ही,
भले दो शब्द ; पर टिप्याएंगे ही.
समझ में उनके आये या न आये,
प्रशंसा करके वो भर्माएंगे ही.
जो दे गाली, तो समझो प्यार में है!
कभी इस तरह भी तड़पाएंगे ही.
न जाओ उनकी 'साईट' पर कभी तो,
बिला वजह भी वो घबराएंगे ही.
कभी 'यूँही' जो लिखदी बात कोई !
तो धोकर हाथ पीछे पड़जाएंगे ही.
बहुत गहराई है इस 'झील' में तो,
जो उतरे वो तो न 'तर' पाएंगे ही.
ये बे-मतलब सा क्या तुम हांकते हो!
न समझे है न हम समझाएंगे ही !!
लगा है उनको कुछ एसा ही चस्का,
कहो कुछ भी वो सुनने आयेंगे ही.
--mansoor ali hashmi