कैसा ये 'काल' है !
जिस 'माल'* ने बनाया हमें 'मालामाल' है, *पशु-धन
किस दर्जा आज देखो तो वो पाएमाल है.
आँखे ! कि तेरी झील सी इक नेनीताल है.
गहरी है, कितनी नीली है, कितनी विशाल है.
'रथ' पर, 'ट्रेन' में कोई, कोई हवा में है* , *प्रचार के लिए !
है पात-पात कोई, कोई डाल-डाल है.
'P C' भी अब चपेट में वाइरस की, ख़ैर हो,
'राजा' ये कह रहा है कि सब 'सादे नाल' है.
'रक्खा' विदेश में है,सुरक्षित हरएक तरह,
'नंबर' जो उसका गुप्त है, वो सादे नाल है.
वो तो 'अमर' है, साथ में लोगा वड्डे-वड्डे* ! *big B
'चिरकुट' कहे कोई उसे, कोई दलाल है.
'वो' आसमानों पर है ज़मीं की तलाश में,
हम तो ज़मीन खोद* के होते 'निहाल' है. *खनन