Friday, September 23, 2011

Short Cut !

कैसा ये 'काल' है !

जिस 'माल'* ने बनाया हमें 'मालामाल' है,        *पशु-धन 
किस दर्जा आज देखो तो वो पाएमाल है.

आँखे ! कि तेरी झील सी इक नेनीताल है.
गहरी है, कितनी नीली है, कितनी विशाल है.

'रथ' पर, 'ट्रेन' में कोई, कोई हवा में है* ,    *प्रचार के लिए !
है पात-पात कोई,  कोई  डाल-डाल है.

'P C'  भी अब चपेट में वाइरस की, ख़ैर  हो,
'राजा' ये कह रहा है कि सब 'सादे नाल' है. 

'रक्खा' विदेश में है,सुरक्षित हरएक तरह,
'नंबर' जो उसका गुप्त है, वो सादे नाल है. 

वो तो 'अमर' है, साथ में लोगा वड्डे-वड्डे* !   *big B
'चिरकुट' कहे कोई उसे, कोई दलाल है.

'वो' आसमानों पर है ज़मीं की  तलाश में,
हम तो ज़मीन खोद* के होते 'निहाल' है.      *खनन 

--mansoor ali hashmi

Thursday, September 22, 2011

Alas !

बे मेल !






खूँटी' मिल न पायी जब आस्था की 'टोपी' को,
'मुल्ला' की मलामत की, और कौसा 'मोदी' को.

दौर 'अनशनो' का है, त्याग कर ये रोटी को,
फिक्स कर रहे है सब, अपनी-अपनी गोटी को.

'शास्त्र' से न था रिश्ता, 'शस्त्र' लाना भूले थे,  
इक ने खींची दाढ़ी तो, दूसरे ने चोटी को.

जोड़े यूं भी बनते है, जोड़ जब नहीं मिलती,
मोटा लाये मरियल सी, दुबला पाए मोटी को.

'बड़की'* से ब्याहने जो रथ पे चढ़ने आया था,   
 लौटना पड़ा उसको साथ लेके 'छोटी' को.

* {पी.एम्. की गद्दी}
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mansoor ali hashmi 

Friday, September 16, 2011

New Values

अच्छा तो हम चलते है !



हरइक सुबह वो कुत्ते संग जोगींग पे निकलते है,
उसे निबटा के रस्ते में , ये घर आकर निबटते है.

उलटते है, पलटते है, अदलते है, बदलते है,
जहां सत्ता का सुख मिलता, उसी जानिब फिसलते है.


बयानों को वो अपने ख़ुद उगलते है, निगलते है,
ये बेपेंदी के लौटे है, यहाँ से वां लुढ़कते है.


सभी को मौक़ा मिल जाता यहाँ कुछ कर दिखाने का,
जो  अनशन कर नहीं पाए वो अब उपवास करते है. 

उछाल आये जो डॉलर में तो रुपया पानी भरता है,
बिगड़ जाता बजट तबतेल के जब दाम चढ़ते है.


हमारे 'अर्थ' की अब है व्यवस्था ग़ैर हाथो में ,
कोई खींचे है धागा , और हम बस हाथ मलते है.

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mansoor ali hashmi 

Monday, September 12, 2011

SILENT CRY


जब भी बोला है सच ही बोला है!

मुंह नहीं उसने अपना खोला है,

उसका चुप रहना ही तो ‘बोला’ है.

दर्द दुनिया का भर लिया दिल में,

हाथ में उसके खाली झोला है.

खाताधारी ‘Swiss’ का बन बैठा,

रत्ती,माशा कभी था, ‘तोला’ है.

आबे ज़मज़म न गंगा जल की तलब,

हाथ में अब तो कोका कोला है.

‘वो’ किसी और को, कोई ‘उसको’,

ठोंकता है सलाम- ‘ठोला’ है. 

मुफ्त का माल, बे रहम हो जा,

फ़िक्र क्या करना? हाजमोला है!

क्यों रसन, दार पर सजी फिर से,

सच ये फिर आज कौन बोला है ?

दोनों जानिब नज़र वो आता है,

झूलता रहता है हिंडोला है !

इन्किलाब अब तो यूं भी आते है,

बन गयी जब भी भीड़ ‘टोला’ है.


 --mansoor ali hashmi 

Sunday, September 11, 2011

FACE BOOK


किताबी चेहरा....!



फेसबुक पर जो खाता खोला है,

गोपियो ने तो धावा बोला है .

मित्र संख्या है अब हज़ारो में,

उम्र उसकी तो  सिर्फ सोलह है.

दोस्ती का नही है अर्थ पता,

सिर्फ हाय, हलो ही बोला है.

उम्र आधी किसी की दुगनी है,

कोई राधा, कोई रमोला है.



बे-बटन शर्ट, शोर्ट पहने है ,    


हाथ में एक बरफ का गोला है.  

“चित्र’ कितना तुम्हारा सुन्दर है”,

लिख के इतना ही बस टटोला है!


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-मंसूर अली हाश्मी


Thursday, September 1, 2011

SEASON'S GREETINGS


गणेश चतुर्थी के शुभ अवसर पर सभी ब्लागर साथियो और देश वासियों को हार्दिक बधाई. 
पटाखा छोड़ा, निकली 'सुरसुरी' है !
लड़ाई ये हमारी ख़ुद से ही है,
ये 'रिश्वत' तो हमी ने दी है, ली है.

मिले जो 'आश्वासन' सब हसीं है,
मगर उसमे भी लगती कुछ कमी है.

बनाया इसको जनता ने सही पर,
ये 'संसद' अब तो उससे भी बड़ी है.

कभी 'टूटा', कभी 'तोड़ा' गया है,
है 'अनशन' तो पुराना, रुत नई है.

वो 'टोपी' जिससे नफरत हो रही थी,
उसे 'अन्ना' की खातिर पहन ली है.

'चतुर्थी', 'ईद', पर्युशन' का मौसम,
अमन है, शान्ति है, ज़िन्दगी है.

न हाकी, रेस, न ही भांगड़ा है,
प्राजी!*, ये घड़ी क्यों रुक गयी है.        *[पंजाब वासी]

सियासत ही में बाज़ी आजमाए,
दिगर खेलो में हारा 'हाशमी' है.

-मंसूर अली हाशमी 

Wednesday, August 31, 2011

Eid Greetings

मुबारक बाद/ बधाईयाँ...


ईद के मुबारक मौक़े पर मुस्लिम भाईयों एवं तमाम देश वासियों को हार्दिक बधाइयां.

आप सबकी एवं देश की प्रगति एवं समृद्धि की शुभ कामनाओं सहित.

आज इस पावन अवसर पर मोबाइल में एक अनोखा दृश्य क़ैद हुआ, जो मैं आप लोगों के साथ शेअर करना चाहता हूँ:



सैफ़ी मोहल्ला, रतलाम स्थित बड़ी मस्जिद के बाहर सुबह के वक़्त ईद की नमाज़ पश्चात जबकि अधिकतर लोग घर लौट  चुके  थे, एक भिखारिन को ड्यूटी पर तैनात पुलिस कर्मियों ने सहृदयता से दान दिया. [उनकी इजाज़त से ही मेने यह तस्वीर खींची  है]  

भिखारिन की मासूमियत पर मुझे बरबस ही प्यार आया, साथ ही पुलिस कर्मियों की उदारता और प्रेम पूर्वक व्यवहार से मन अभीभूत हुआ.

-मंसूर अली हाशमी 

Thursday, August 25, 2011

DIPLOMACY


नए नेता की सूची में तेरा भी नाम है प्यारे !

सियासत जिसको कहते है, इसी का नाम है प्यारे,
कोई 'अन्ना' बना है तो कोई 'गुमनाम' है प्यारे.

बुझे दीपक से नज़रे ही चुराते सबको देखा है,
चमकते 'सूर्य' को करते सभी प्रणाम है प्यारे.

जहां पर चापलूसी, झूठ का ही बोल बाला हो,
शराफत, दोस्ती और वफ़ा नाकाम है प्यारे.

हर एक 'मंसूर' को फांसी चढ़ाने को तुले है वो, 
'गुरुओ' और  'कस्साबो' को तो आराम है प्यारे.



















मोहब्बत दीन है और मोहब्बत ही ख़ुदा ए दोस्त,
जला नफरत के रावण को जो तुझ को 'राम' है प्यारे.

"भ्रष्टाचार मिट जाए" यही है कामना सबकी. 
अभी तो देश में ये ही बड़ा एक काम  है प्यारे . 

Note: {Pictures have been used for educational and non profit activies. 
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--mansoor ali hashmi 

Tuesday, August 23, 2011

Whitewashed !


धोए गए कुछ ऐसे कि बस साफ़ हो  गए !

धोए गए बुरी तरह इस मानसून में,
वैसे भी तर-ब-तर* तो थे इस माहे जून में.

[*बहुत सारी जीत और पैसा कमाया था पिछले ही महीने [जून] तक ]

चारो गँवा के बैठ गए अबतो खाली हाथ,
आता नहीं है जोश क्यूँ अब अपने खून में.

एक 'सैंकड़ा' सचिन अगर ले आता साथ में,
ख़ुश होके भूल जाते सभी कुछ  जुनून में.

बल्ले नहीं चले मगर इस बार गेंद भी,
'गोरो' को लग रही थी  Honey जैसी  Moon में.

अपनी अपेक्षाए ही हमको तो 'छल' गई,
हम है कि ढूँढते है उसे कोई  Goon*  में.          *ठग 
 
--mansoor ali hashmi 

Sunday, August 21, 2011

कौन ? आर.एस.एस.! ,C.I.A. !, पाकिस्तान ! OR ...?


कौन ?  आर.एस.एस.! ,C.I.A. !,  पाकिस्तान ! OR ...?

हस्ती को जो अपनी यूं मिटा लेता है यारों,
Unknown को  अण्णा वो बना देता है यारों.

'जन-लोक' अगर बन नहीं पाया है तो हुशियार !
सैलाब वो जन-जन में उठा देता है यारों.

जन भावना राहत में हो, आह़त हो अगर तो,
सरकार बना देता, हटा देता है यारों. 

अब 'राम की लीला' पे है अण्णा को भरोसा,
भ्रष्टो को जो आखिर में सज़ा देता है यारो !
   
--mansoor ali hashmi