आदरणीय दिनेश रायजी,
सादर नमस्कार,
महेंद्र नेह जी कि शानदार रचना पर एक गुस्ताखाना हज़ल हो गयी है. दरअस्ल आई.पी.एल मेच देखते-देखते यह पढ़ना-लिखना कार्यरूप ले रहा था.
आपको इस बात का इख्तियार देता हूँ कि इस सठियाई हुई रचना को सिरे से ख़ारिज करदे, edit करदे या approve करदे. आपका जवाब मिलने पर यह सादर नमस्कार,
महेंद्र नेह जी कि शानदार रचना पर एक गुस्ताखाना हज़ल हो गयी है. दरअस्ल आई.पी.एल मेच देखते-देखते यह पढ़ना-लिखना कार्यरूप ले रहा था.
पब्लिश होगी या रद्द.
क्रिकेट की गिरगिट
क्रिकेट के गणित से लेना न कुछ है देना,
चोक्को को लात देकर ,छक्के पकड़तियां है.
सौष्ठव शरीर होवे, मैदान इसलिए है,
मन रंजनो कि खातिर कितनी उछल्तिया है,
उत्साह वर्धनी है, कुछ है कि कामिनी है,
दुस्साहसी भी इनमे, किसकी ये गलतियाँ है.
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चंचल किशोरियां है,आँखों में मस्तियाँ है,
हाथो में फूल नकली ,छतियाँ धड़कतियां है.
मैदान में खिलाड़ी,दर्शक से खेलती ये ,
क्रिकेट पीछे-पीछे , अगली ये पंक्तियाँ है.
क्रिकेट के गणित से लेना न कुछ है देना,
चोक्को को लात देकर ,छक्के पकड़तियां है.
सौष्ठव शरीर होवे, मैदान इसलिए है,
मन रंजनो कि खातिर कितनी उछल्तिया है,
उत्साह वर्धनी है, कुछ है कि कामिनी है,
दुस्साहसी भी इनमे, किसकी ये गलतियाँ है.
-mansoorali hashmi
http://aatm-manthan.com
-दिनेशराय द्विवेदी:{note: आपकी मंजूरी भी public करदी है- आपको सठियाने में भी ज्यादा साल नहीं बचे!}