ज़ुबाँ / tongue / लेंगुएज
दो धारी तलवार ज़ुबाँ है,
करवाती तकरार ज़ुबाँ है.
मिलवादे तो यार ज़ुबाँ है.
चढ़वादे तो दार* ज़ुबाँ है.
भली-भली जो चीज़े देखे,
रसना भी है,लार ज़ुबाँ है.
नंगे और भूखे* लोगों की,
कुरता भी शलवार ज़ुबाँ है.**
मीठा-मीठा गप-गप करती,
कडवे पे थूँकार ज़ुबाँ है.
बक-बक, झक-झक करती रहती,
कौन कहे लाचार ज़ुबाँ है?
जीभ जिव्हा पर क्यों न चढ़ती?
थोड़ी सी दुशवार ज़ुबाँ है.
अंग्रेजी पर टंग[tongue] बैठी है,
किसकी ये सरकार ज़ुबाँ है.
लप-लप, लप-लप क्यों करती है?
पाकी या फूँफ्कार ज़ुबाँ है.
शब्द अगर न साथ जो देवे,
आँख की एक मिच्कार[winking] ज़ुबाँ है.
समग्रता का यहीं तकाज़ा,
हिंदी ही दरकार ज़ुबाँ है.
दिल की बातें बयाँ करे जो ,
एक यही गमख्वार ज़ुबाँ है.
बटलर भी हिटलर बन जाए!
कितनी अ- सरदार ज़ुबाँ है.
बहरो की सरकार अगर हो,
कितनी ये लाचार ज़ुबाँ है!
गूँगो की सरकार बने तो,
'कान' की पहरेदार ज़ुबाँ है.
बहरे-गूंगे जब मिल बैठे,
फिर तो बस दिलदार ज़ुबाँ है.
सच भी झूठ यही से निकले,
एक ही common द्वार ज़ुबाँ है.
अपनी डफली, राग भी अपना,
आज बनी व्यापार ज़ुबाँ है.
ख़ुद को ही सुनती रहती है,
किसकी परस्तार ज़ुबाँ है?
नीब-जीभ* सब कलम* हो गए,
Net पे अब गुफ्तार ज़ुबाँ है.
कैंची की माफक चलती है,
अपनी तो ''घर-बार'' ज़ुबाँ है.
झूठ-सांच का फर्क मिटाती,
कैसी ये फनकार ज़ुबाँ है.
* दार= फांसी का तख्ता
*भूखे-नंगे= साधन हीन
** ज़ुबान की मदद से ही अपनी कमिया छुपा लेते है.
* नीब-जीभ = ink-pen में लगने वाली
** ज़ुबान की मदद से ही अपनी कमिया छुपा लेते है.
* नीब-जीभ = ink-pen में लगने वाली
* क़लम =कलम करना /काटना/ख़त्म हो जाना.
-मंसूर अली हाश्मी
5 comments:
बहुत खूब... अनूठी रचना... जुबाँ पर सामयिक रचना
अंग्रेजी पर टंग बैठी है,
किसकी ये सरकार ज़ुबाँ है. इसके तो क्या कहने.
आज भरपूर आनद आया...
सच भी झूठ यही से निकले,
एक ही common द्वार ज़ुबाँ है
-वाह!! सटीक...
जुबाँ क्या क्या कर जाती है..
झूठ-सांच का फर्क मिटाती,
कैसी ये फनकार ज़ुबाँ है.
बहुत सुंदर
मान गए आपकी फ़नकार ज़ुबां को मंसूर साहब।
बहुत खूब
वाह जी बहुत सुंदर.
Post a Comment