माल बनता है मल ही आखिर में,
'आज' बनता है 'कल'* ही आखिर में.
धन पशु है; पशु भी धन ही है,
चल भी होता अचल ही आखिर मे.
महंगी होती गई अगर ऊर्जा,'आज' बनता है 'कल'* ही आखिर में.
धन पशु है; पशु भी धन ही है,
चल भी होता अचल ही आखिर मे.
जीतेगी सायकल ही आखिर में.
नेता कितना बड़ा भी हो लेकिन,
जीत जाता है दल ही आखिर में.
गर्म होकर फरार हो ले भले,
वाष्प होता है जल ही आखिर में.
जीतता सा लगे भले हमको,
हार जाता है छल ही आखिर में.
बाजपाई सा अब कहाँ ढूंदे,
सबसे अव्वल,अटल ही आखिर में.
दिल पे पत्थर रखे कोई कब तक,
नैना होते सजल ही आखिर में.
''मालखाना'' है कोतवाली में,
जो बचेगा वो ''खल'' है आखिर में.
सर्द रिश्तो में प्यार हो मौजूद,
बर्फ जाती पिघल ही आखिर में,
mansoorali hashmi
3 comments:
सर्द रिश्तो में प्यार हो मौजूद,
बर्फ जाती पिघल ही आखिर में,
-क्या बात है!!
बहुत बढिया !!
बहुत सुन्दर !!!
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