झूठा सच
False ceiling लगाना ज़रूरी है अब,
फ़र्श के साथ छत भी सजा लीजिये,
अब जो उल्टे चलन का ज़माना है यह,
पांव छत पर भी रख कर चला कीजिये ।
पहले ज़ीनत का दर्जा बुलन्दी पे था,
अब तो दर्जा -ब-दर्जा वो पस्ती पे है,
टोपी-पगडी हो सर पर ज़रूरी नही,
शूज़ पर अपने पालिश लगा लीजिये।
लेफ़्ट ही तो है राइट मैरे देश मे,
गाडी जिस सिम्ट चाहें घुमा लीजिये,
है लचक भी तो कानून मे इस कदर,
गाडी फ़ुटपाथ पर भी चढ़ा दीजिये।
ज़र्फ़ की है कमी,तर्क चलते नही,
हर किसी से न यारो वफ़ा कीजिये,
धर्म को भी दया से नही वास्ता,
हो सके तो बुरे से भला कीजिये।
मन्सूर अली हशमी
Saturday, October 11, 2008
Wednesday, September 24, 2008
L O V E R
आशिक [II]
आज मैंने सचिन से इंटरव्यू के लिए appointment लिया ।
कबूतर तो कबूतरी से भी छोटा निकला, कद में। उम्र तो वही तीन-एजरी थी।
म.ह. :- हेल्लो, सचित्र ,तुम्हारा यह नाम?
सचित्र:- वह मेरी बात काट कर बोला, मेरा नाम ही नही मेरा कार्ड भी सचित्र है, उसने अपनी स्वयं की तस्वीर वाला visiting card मेरे हाथ में थमा दिया।
पहले की मैंइससे अगला सवाल करू उसने ठेठ राजनीतिझ वाले अंदाज़ में कहा "no persosonal questions please!" मैंने मन में सोचा person तो तुम अभी पूरे बने नही हो, इसलिए थोड़ा हट कर ही सवाल करना पड़ेगा!
म.ह. :- ब्लागर्स के प्रति मैरी जिझासा ही तुम्हारे पास लायी है!
सचित्र: - 'जिझासा' का मतलब तो नही मालूम , खेर , जो भी लाया है, आप पूछिये but no personal questions please.
म . ह. :- हिन्दी में ब्लॉग्गिंग कब से कर रहे हो?
सचित्र:- no, no, basically, I am a english blogger। वह तो मेरे स्य्स्तेम सॉफ्टवेर से हिन्दी में ट्रांसलेट करवा लेता हू।
म.ह. :- इंग्लिश पर ही कृपा -द्रष्टि रखी होती तो?
सचित्र:- 'कृपा-द्रष्टि' मतलब?..., मगर इंग्लिश ब्लॉग पे कोई कमेंट्स नही मिल रहे थे , सोचा अपने देश-वासियों का ही भला करू!
म .ह:- हिन्दी रिस्पोंस केसा है? क्या कहते है लोग?
सचित्र:- very nice, १५-२० तो हर एक पर आ ही जाते है, मगर ज्यादातर लोग meaning ही पूछते रहते है।dictionary भी नही खरीद सकते poor indians!
म.ह. : विषय क्या रहता है तुम्हारा?
सचित्र:- sabject की क्या कमी है, अपने स्वयं से ही स्टार्ट करो तो बरसो तक चलते रहेंगे! फ़िर मेरा तो principle ही है की charity begins from home।
म.ह. क्या मतलब? भावनाओ का एसा तूफान है तुम्हारे मन में?
सचित्र :- हाँ, एक का नाम यही [भावना] ही था, but no personal questions please। मैं तो शरीर के प्रत्येक अंग को अपना विषय बना रहा हूँ बारी -बारी!
[अब मुझे समझ में आया की यह "नो पर्सनल ....वाला डायलोग तो उसका 'तकिया कलाम ' है।
म.ह. :- कोई उदहारण?
सचित्र: आँखे , होंठ , उँगलियाँ, कान, बाल , heart वगैरह । अरे, इस हार्ट ने तो कमाल ही कर दिया इस पर तो 'उसकी' सहेलियों के comments अभी तक आ रहे है।
म.ह. :- यह 'उसकी' कौन?
सचित्र:- no personal questions please, but मैं आपको बताउंगा , वास्तव में मैं भी 'उसको' nick नेम ही से जानता हू ..."पतंग", मेरे हार्ट टाइटल पर वह कटी पतंग ही की तरह तो आकर अटक गई है.क्या खुबसूरत इत्तेफाक है उसका पतंग होना और net के ज़रिये दिल पर अटकना।
म.ह. :- kidney पर नही लिखा तुमने?
सचित्र;- लिख लिया था लगभग , मगर वह उसके liver पर कुर्बान [न्योछावर] हो गया...आह!
म.ह:- किस तरह?
सचित्र:- जिस दिन 'किडनी' कम्प्लीट हो कर पब्लिश होने वाला ही था की उसने यह अशुभ समाचार सुनाया की वह भी लिवर पर एक ब्लॉग लिख रही है, जबकि मेरा अगला सब्जेक्ट वही था। उससे 'बहस' , 'तकरार' में मैं किडनी save नही कर पाया, और दोबारा लिख भी नही पाया।
म.ह: - फ़िर लिवर का क्या हुआ?
सचित्र:- उस पर तो हम इस एग्रीमेंट पर पहुंचे की इस विषय पर दोनों ही नही लिखेंगे, हालाँकि मेरा लिवर अब भी इस विषय के लिए उछल रहा है।
म.ह. :- तुम्हारा कोई unique ब्लॉग?
सचित्र:- ज़रूर होता, 'नाक' इस सम्बन्ध में दुनिया को पहली बार यह कांसेप्ट मिलता जो मैं 'नाक' को pyramid की उपमा से संबोधित करता।
म.ह. :- क्या हुआ 'नाक' का ?
सचित्र:- वह 'भावना' लिख गई, में उसकी भावना को ठेस नही पहुँचाना चाहता , उसका एक मात्र ब्लॉग है उसकी "नाक" , मैं केसे काट देता?
म.ह. :- अगले ब्लोग्स के titles ?
सचित्र:- गला, कमर और most favourite एक और है, मगर मैं लिख नही पाऊंगा !
म.ह. :- कौनसा? और क्यो नही लिख पाओगे?
सचित्र:- नही,नही, शर्म आती है, [यह कहते कहते वह वाकई शर्म से लाल हो गया और फिर स्वयं ही इंटरव्यू समाप्त घोषित करते हुआ बोला... no personal questions please.
मैरे पास भी उठने के अलावा कोई चारा न था , मगर इन सब बातो में कबूतरी यानि पतंग का असली नाम आपको बताना भूल ही गया। मै बता भी दू मगर अब मुझमे एक और जिझासा जगी है ,पतंग के ब्लॉग के titles जानने की , तब फ़िर इस बात को अगले इंटरव्यू तक बचाए रखे तो?
-मंसूर अली हाश्मी
आज मैंने सचिन से इंटरव्यू के लिए appointment लिया ।
कबूतर तो कबूतरी से भी छोटा निकला, कद में। उम्र तो वही तीन-एजरी थी।
म.ह. :- हेल्लो, सचित्र ,तुम्हारा यह नाम?
सचित्र:- वह मेरी बात काट कर बोला, मेरा नाम ही नही मेरा कार्ड भी सचित्र है, उसने अपनी स्वयं की तस्वीर वाला visiting card मेरे हाथ में थमा दिया।
पहले की मैंइससे अगला सवाल करू उसने ठेठ राजनीतिझ वाले अंदाज़ में कहा "no persosonal questions please!" मैंने मन में सोचा person तो तुम अभी पूरे बने नही हो, इसलिए थोड़ा हट कर ही सवाल करना पड़ेगा!
म.ह. :- ब्लागर्स के प्रति मैरी जिझासा ही तुम्हारे पास लायी है!
सचित्र: - 'जिझासा' का मतलब तो नही मालूम , खेर , जो भी लाया है, आप पूछिये but no personal questions please.
म . ह. :- हिन्दी में ब्लॉग्गिंग कब से कर रहे हो?
सचित्र:- no, no, basically, I am a english blogger। वह तो मेरे स्य्स्तेम सॉफ्टवेर से हिन्दी में ट्रांसलेट करवा लेता हू।
म.ह. :- इंग्लिश पर ही कृपा -द्रष्टि रखी होती तो?
सचित्र:- 'कृपा-द्रष्टि' मतलब?..., मगर इंग्लिश ब्लॉग पे कोई कमेंट्स नही मिल रहे थे , सोचा अपने देश-वासियों का ही भला करू!
म .ह:- हिन्दी रिस्पोंस केसा है? क्या कहते है लोग?
सचित्र:- very nice, १५-२० तो हर एक पर आ ही जाते है, मगर ज्यादातर लोग meaning ही पूछते रहते है।dictionary भी नही खरीद सकते poor indians!
म.ह. : विषय क्या रहता है तुम्हारा?
सचित्र:- sabject की क्या कमी है, अपने स्वयं से ही स्टार्ट करो तो बरसो तक चलते रहेंगे! फ़िर मेरा तो principle ही है की charity begins from home।
म.ह. क्या मतलब? भावनाओ का एसा तूफान है तुम्हारे मन में?
सचित्र :- हाँ, एक का नाम यही [भावना] ही था, but no personal questions please। मैं तो शरीर के प्रत्येक अंग को अपना विषय बना रहा हूँ बारी -बारी!
[अब मुझे समझ में आया की यह "नो पर्सनल ....वाला डायलोग तो उसका 'तकिया कलाम ' है।
म.ह. :- कोई उदहारण?
सचित्र: आँखे , होंठ , उँगलियाँ, कान, बाल , heart वगैरह । अरे, इस हार्ट ने तो कमाल ही कर दिया इस पर तो 'उसकी' सहेलियों के comments अभी तक आ रहे है।
म.ह. :- यह 'उसकी' कौन?
सचित्र:- no personal questions please, but मैं आपको बताउंगा , वास्तव में मैं भी 'उसको' nick नेम ही से जानता हू ..."पतंग", मेरे हार्ट टाइटल पर वह कटी पतंग ही की तरह तो आकर अटक गई है.क्या खुबसूरत इत्तेफाक है उसका पतंग होना और net के ज़रिये दिल पर अटकना।
म.ह. :- kidney पर नही लिखा तुमने?
सचित्र;- लिख लिया था लगभग , मगर वह उसके liver पर कुर्बान [न्योछावर] हो गया...आह!
म.ह:- किस तरह?
सचित्र:- जिस दिन 'किडनी' कम्प्लीट हो कर पब्लिश होने वाला ही था की उसने यह अशुभ समाचार सुनाया की वह भी लिवर पर एक ब्लॉग लिख रही है, जबकि मेरा अगला सब्जेक्ट वही था। उससे 'बहस' , 'तकरार' में मैं किडनी save नही कर पाया, और दोबारा लिख भी नही पाया।
म.ह: - फ़िर लिवर का क्या हुआ?
सचित्र:- उस पर तो हम इस एग्रीमेंट पर पहुंचे की इस विषय पर दोनों ही नही लिखेंगे, हालाँकि मेरा लिवर अब भी इस विषय के लिए उछल रहा है।
म.ह. :- तुम्हारा कोई unique ब्लॉग?
सचित्र:- ज़रूर होता, 'नाक' इस सम्बन्ध में दुनिया को पहली बार यह कांसेप्ट मिलता जो मैं 'नाक' को pyramid की उपमा से संबोधित करता।
म.ह. :- क्या हुआ 'नाक' का ?
सचित्र:- वह 'भावना' लिख गई, में उसकी भावना को ठेस नही पहुँचाना चाहता , उसका एक मात्र ब्लॉग है उसकी "नाक" , मैं केसे काट देता?
म.ह. :- अगले ब्लोग्स के titles ?
सचित्र:- गला, कमर और most favourite एक और है, मगर मैं लिख नही पाऊंगा !
म.ह. :- कौनसा? और क्यो नही लिख पाओगे?
सचित्र:- नही,नही, शर्म आती है, [यह कहते कहते वह वाकई शर्म से लाल हो गया और फिर स्वयं ही इंटरव्यू समाप्त घोषित करते हुआ बोला... no personal questions please.
मैरे पास भी उठने के अलावा कोई चारा न था , मगर इन सब बातो में कबूतरी यानि पतंग का असली नाम आपको बताना भूल ही गया। मै बता भी दू मगर अब मुझमे एक और जिझासा जगी है ,पतंग के ब्लॉग के titles जानने की , तब फ़िर इस बात को अगले इंटरव्यू तक बचाए रखे तो?
-मंसूर अली हाश्मी
litrature, politics, humourous
दिल - गुर्दे पर ब्लॉग
Saturday, September 20, 2008
L O V E
इश्क [I]
Online प्रेम यूं तो होते रहते है , मगर एक teenage 'ब्लोगरी' का एक teenage ब्लोगर से मामला थोड़ा रोचक है। एक इंटरव्यू की शक्ल में हाज़िर है:-
# m.h. : तुम क्यो ' सचित्र की तरफ़ आकर्षित हुई?
#ब्लोगरी : क्योंकि वह विचित्र नही है ।
# m.h. : क्या विचित्रता नही उसमे?
# ब्लोगरी : कुछ भी नही , बिल्कुल मेरी तरह सोचते है !
#m. h. : कौनसी सोच उसकी आप से मिलती है?
# ब्लोगरी : उनको वही 'गाने' पसंद है जो मुझे पसंद है।
# m.h. : और कोई common बात?
# ब्लोगरी: उसके system में भी LogMein software है, मुझे अपने सिस्टम में access कर ने की permission दे दी !
#m.h. : दिल में समाने [ access] की कौशिश नही की आप दोनों ने ?
# ब्लोगरी : अरे वोह Heart ? मुठ्ठी भर का ? खून ही पम्पिंग करता रहता है , चौबीसों घंटे, हम उसपे depend नही रह सकते । एक राज़ की बात बताऊँ ? उनकी हार्ड डिस्क में अभी भी ४० gb. स्पेस फ्री है,मेरी पसंद के सारे गाने उसमे आ जायेंगे।
# m. h. : तुमको ये हार्ट का function & limitations कैसे मालूम हुए?
# ब्लोगरी : अरे ! उसी ने तो हमारा मिलन करवाया ।
#m. h. : कैसे ?
# ब्लोगरी: metric के एक्जाम में मुझे इस साल हार्ट पर एक प्रोजेक्ट बनाना था। नेट पर heart click किया तो heart title का ब्लॉग भी मिला सचित्र का लिखा हुआ।
# m.h. : क्या लिखा था उसने?
# ब्लोगरी:पूरा तो याद नही, कुछ इस तरह था:-
"एक मुठ्ठी खून तुम फेंका किए, हम न जाने क्या तुम्हे समझा किए" .
# m.h. : 'मार्मिक' ? ...यहीं कमेन्ट दिया ना तुमने?
# ब्लोगरी: कमेन्ट क्या देना अपनी पूरी हार्ड डिस्क सौंप दी उनको, access करने के लिए।
इस इंटरव्यू से में इतना हट - प्रभ हूँ कि , अभी सचित्र से इंटरव्यू लेने की हिम्मत नही ।
ब्लोगरी ने अपना नाम इसी शर्त पर बताया है की सचित्र को पता न लगे । उसके लिए
ये एक बड़ा suspense है ।
आप भी सचित्र से इंटरव्यू लेने तक सब्र रखे।
-मंसूर अली हाश्मी,
नैत्रकार [नेट पर आँखे गढाए रखने वाले]
litrature, politics, humourous
दिल - गुर्दे पर ब्लॉग
security?
सुरक्षितता ?
जिन "फ़िर-ओनो" की यां खुदाई* थी,
उनकी कब्रों की अब खुदाई है,
रत्न -भंडार तो सुरक्षित है,
मिलकियत उनकी अब पराईहै।
भाग्यशाली तो ये रहे फिर भी ,
इनकी लाशो से भी कमाई है ।
*साम्राज्य
-मंसूर अली हाश्मी
जिन "फ़िर-ओनो" की यां खुदाई* थी,
उनकी कब्रों की अब खुदाई है,
रत्न -भंडार तो सुरक्षित है,
मिलकियत उनकी अब पराईहै।
भाग्यशाली तो ये रहे फिर भी ,
इनकी लाशो से भी कमाई है ।
*साम्राज्य
-मंसूर अली हाश्मी
Shammi Kapoor
शम्मी कपूर
एक समय में अरब मुल्को में खासकर लेबनान,जोर्डन ,कुवैत वगेरह में शम्मी कपूर का जादू चलता था। 'जंगली' वाला ज़माना था वह। याहूँ तो यहाँ खूब गूंजा, सिर्फ़ नौजवानों में ही नही सब तबको में। 'याहूँ' काल की यादें आज भी पुराने लोगों के दिलो में स्थापित है। desktop पर पहुँचने वाला याहू भी इसी नस्ल का है, इसका मुझे कोई अंदाज़ नही।
फिर 'तीसरी मन्ज़िल के musical songs ने भी हम से ज़्यादा अरबो को ही नचाया था। शम्मी कपूर की कद-काठी , रंग-रूप में अरब लोगों को अपने जैसी ही झलक मिलती थी । खासकर तबियत की 'शौखी' इसको तो ये लोग अपनी ही विरासत समझते है।
शम्मी कबूर [अरबी भाषा में 'प' स्वर के आभाव से बना उच्चारण] का दो दशक तक यहाँ एक छत्र राज कायम रहा।
इन देशो के मूल निवासियों के अतिरिक्त यहाँ बसे हुए एशियन मूल के लोगों का भी बहुत बड़ा योगदान रहा भारतीय रंगकर्मियों और फिल्मो की लोकप्रियता को बढ़ावा देने में।
अब ग्लोबलाइजेशन के दौर में कलाकारों को जो 'मेवा' खाने मिल रहा है, वह उनकी सेवाओ के मुकाबले में कई गुना ज़्यादा है। भाग्यशाली है आज के अनेक कलाकार!
एक और भारतीय सांस्कृतिक राजदूत 'शम्मी कपूर' को मेरा सलाम।
मंसूर अली हाश्मी [मिस्र से]
एक समय में अरब मुल्को में खासकर लेबनान,जोर्डन ,कुवैत वगेरह में शम्मी कपूर का जादू चलता था। 'जंगली' वाला ज़माना था वह। याहूँ तो यहाँ खूब गूंजा, सिर्फ़ नौजवानों में ही नही सब तबको में। 'याहूँ' काल की यादें आज भी पुराने लोगों के दिलो में स्थापित है। desktop पर पहुँचने वाला याहू भी इसी नस्ल का है, इसका मुझे कोई अंदाज़ नही।
फिर 'तीसरी मन्ज़िल के musical songs ने भी हम से ज़्यादा अरबो को ही नचाया था। शम्मी कपूर की कद-काठी , रंग-रूप में अरब लोगों को अपने जैसी ही झलक मिलती थी । खासकर तबियत की 'शौखी' इसको तो ये लोग अपनी ही विरासत समझते है।
शम्मी कबूर [अरबी भाषा में 'प' स्वर के आभाव से बना उच्चारण] का दो दशक तक यहाँ एक छत्र राज कायम रहा।
इन देशो के मूल निवासियों के अतिरिक्त यहाँ बसे हुए एशियन मूल के लोगों का भी बहुत बड़ा योगदान रहा भारतीय रंगकर्मियों और फिल्मो की लोकप्रियता को बढ़ावा देने में।
अब ग्लोबलाइजेशन के दौर में कलाकारों को जो 'मेवा' खाने मिल रहा है, वह उनकी सेवाओ के मुकाबले में कई गुना ज़्यादा है। भाग्यशाली है आज के अनेक कलाकार!
एक और भारतीय सांस्कृतिक राजदूत 'शम्मी कपूर' को मेरा सलाम।
मंसूर अली हाश्मी [मिस्र से]
Friday, September 19, 2008
Weight
भार
IT से जुड़ कर हम में से बहुत से अपनी दुकान बंद कर बैठे है [दो कान भी microphone घुस जाने की वजह से ]। व्यापारी से हम व्यवसायी [professional] हो गए है। माल खरीद-बिक्री में भी हाथो का प्रयोग कम हो गया है। " सिर्फ़ कुछ उँगलियों की खडखडाहट " , "बगैर in हुए माल out".
खरीदना -बेचना कितना आसन हो गया है, इस प्रक्रिया में शायद हमें भी किसी ने खरीद लिया है ! हम भी बिक कर कितना भर-रहित महसूस कर रहे है। ऊपर उठने के लिए यह आवश्यक भी है। और फ़िर सभी चीजे कम भार की हो रही है, computer, laptop, mobile यहाँ तक की car भी। नई technology का भार से कोई बैर ज़रूर है, तभी तो भार बताने वाले बांटो का तो अस्तित्व ही खतरे में पड़ गया है[ eloctronic scale से]।
अब छोटी चीजे बड़े status का पर्याय बनती जा रही है तो मैरे छोट्पन पर भी आप एतराज़ न करे।मै
कद घटाकर [तदानुसार भार घटाकर] उंचाइयां पाने की कोशिश कर रहा हू तो आप मेरे पाँव मत खीचिये ।
मगर प्रकर्ति के नियम के तहत यह भार कही न कही तो स्थानांतरित तो अवश्य ही हो रहा होगा ? आज मुझे अपने "पेपर्स" आगे [!] बढ़ने के लिए प्रयुक्त भार से अंदाज़ हुआ की कोई क्षेत्र तो बचा है जहाँ 'भार' निरंतर बढ़ रहा है। 'Balance' बनाने में सहायक ही होगा।
मंसूर अली हाश्मी
IT से जुड़ कर हम में से बहुत से अपनी दुकान बंद कर बैठे है [दो कान भी microphone घुस जाने की वजह से ]। व्यापारी से हम व्यवसायी [professional] हो गए है। माल खरीद-बिक्री में भी हाथो का प्रयोग कम हो गया है। " सिर्फ़ कुछ उँगलियों की खडखडाहट " , "बगैर in हुए माल out".
खरीदना -बेचना कितना आसन हो गया है, इस प्रक्रिया में शायद हमें भी किसी ने खरीद लिया है ! हम भी बिक कर कितना भर-रहित महसूस कर रहे है। ऊपर उठने के लिए यह आवश्यक भी है। और फ़िर सभी चीजे कम भार की हो रही है, computer, laptop, mobile यहाँ तक की car भी। नई technology का भार से कोई बैर ज़रूर है, तभी तो भार बताने वाले बांटो का तो अस्तित्व ही खतरे में पड़ गया है[ eloctronic scale से]।
अब छोटी चीजे बड़े status का पर्याय बनती जा रही है तो मैरे छोट्पन पर भी आप एतराज़ न करे।मै
कद घटाकर [तदानुसार भार घटाकर] उंचाइयां पाने की कोशिश कर रहा हू तो आप मेरे पाँव मत खीचिये ।
मगर प्रकर्ति के नियम के तहत यह भार कही न कही तो स्थानांतरित तो अवश्य ही हो रहा होगा ? आज मुझे अपने "पेपर्स" आगे [!] बढ़ने के लिए प्रयुक्त भार से अंदाज़ हुआ की कोई क्षेत्र तो बचा है जहाँ 'भार' निरंतर बढ़ रहा है। 'Balance' बनाने में सहायक ही होगा।
मंसूर अली हाश्मी
Wednesday, September 17, 2008
amitabh bachchan
अमिताभ बच्चन
जवाब सुनकर की यह मैं indian हू, प्रति-क्रिया में उसने पहला शब्द यही कहा..... अमिताभ बश्शन ? और फ़िर आधा दर्ज़न अमिताभ की फिल्मो के नाम गिना दिए,'मर्द' , 'कुली' वगेरह! यह बात ३ सितम्बर 2008 को हुई , यहाँ , मिस्र {egypt} में. यह कोई एक egyptian की बात नही, और भी कई नौ-जवानों से यह तजुर्बा हुआ. यानी अब मिस्र की नई पीढी के लिए भारत की पहचान एक कलाकार है [राष्ट्रपति नासिर के ज़माने में लोगो के लिए नेहरू का नाम भारत की पहचान होता था]. राजनीती , धर्म, कला व् संस्कृति के प्रति जागरूक मिस्र-वासियों की नई पीढी में कला को पहचान के मध्यम में उपरी क्रम में रखना आश्चर्य-जनक लगा, एक सुखद आश्चर्य!
एक तरफ़ मानव समाज में [अगर हम भारतीय परिप्रेक्ष्य में देखे तो] जिस संकुचितता का आभास , विशेषकर दलीय राजनीती जनित नई वर्ग और वर्ण व्यवस्था जो की जाती , धर्म , भाषा , प्रदेश, जिला हर स्तर पर लोगों को बांटती हुई नज़र आती है, में देश की पहचान का तत्व कम ही दीखता है,. यह तो शुक्र है की खेलो [sports] और कला जगत ने एक हद तक हमारे वासुदेव कुटुम्भकम के आदर्श की लाज रखी है.
हाँ , तो बात मैं मिसरी नौ-जवान की कर रहा था की पटरी बदल गई!....उसके मुंहसे अमिताभ का नाम सुन कर जिस आत्मीयता का अहसास हुआ वह वर्णन से परे है! बश्शन इसलिए बोलते है की अरबी में 'च' उच्चारण वाला शब्द ही नही है [जबकि ये लोगचाय खूब पीते है.
अन्य मिसरी नौ-जवानों ने अमिताभ की फिल्मो के नाम लिए बल्कि उसके फिल्मी डायलाग बोले और गीत भी गुन-गुनाए , जबकि वे इस भाषा से नितांत अपरिचित है.
कला जगत की ये विशेषता है की यह देश,धर्म आदि सीमओं में नही बंधता. कलाकार ही हमारे सच्चे राजदूत है विश्व कैनवास पर.
-मंसूर अली हाश्मी [मिस्र से]
जवाब सुनकर की यह मैं indian हू, प्रति-क्रिया में उसने पहला शब्द यही कहा..... अमिताभ बश्शन ? और फ़िर आधा दर्ज़न अमिताभ की फिल्मो के नाम गिना दिए,'मर्द' , 'कुली' वगेरह! यह बात ३ सितम्बर 2008 को हुई , यहाँ , मिस्र {egypt} में. यह कोई एक egyptian की बात नही, और भी कई नौ-जवानों से यह तजुर्बा हुआ. यानी अब मिस्र की नई पीढी के लिए भारत की पहचान एक कलाकार है [राष्ट्रपति नासिर के ज़माने में लोगो के लिए नेहरू का नाम भारत की पहचान होता था]. राजनीती , धर्म, कला व् संस्कृति के प्रति जागरूक मिस्र-वासियों की नई पीढी में कला को पहचान के मध्यम में उपरी क्रम में रखना आश्चर्य-जनक लगा, एक सुखद आश्चर्य!
एक तरफ़ मानव समाज में [अगर हम भारतीय परिप्रेक्ष्य में देखे तो] जिस संकुचितता का आभास , विशेषकर दलीय राजनीती जनित नई वर्ग और वर्ण व्यवस्था जो की जाती , धर्म , भाषा , प्रदेश, जिला हर स्तर पर लोगों को बांटती हुई नज़र आती है, में देश की पहचान का तत्व कम ही दीखता है,. यह तो शुक्र है की खेलो [sports] और कला जगत ने एक हद तक हमारे वासुदेव कुटुम्भकम के आदर्श की लाज रखी है.
हाँ , तो बात मैं मिसरी नौ-जवान की कर रहा था की पटरी बदल गई!....उसके मुंहसे अमिताभ का नाम सुन कर जिस आत्मीयता का अहसास हुआ वह वर्णन से परे है! बश्शन इसलिए बोलते है की अरबी में 'च' उच्चारण वाला शब्द ही नही है [जबकि ये लोगचाय खूब पीते है.
अन्य मिसरी नौ-जवानों ने अमिताभ की फिल्मो के नाम लिए बल्कि उसके फिल्मी डायलाग बोले और गीत भी गुन-गुनाए , जबकि वे इस भाषा से नितांत अपरिचित है.
कला जगत की ये विशेषता है की यह देश,धर्म आदि सीमओं में नही बंधता. कलाकार ही हमारे सच्चे राजदूत है विश्व कैनवास पर.
-मंसूर अली हाश्मी [मिस्र से]
Egyptian Mummies
मिस्र से ...सितंबर २००८
मम्मियों का ये देश है यारो,
"डे" "डियो" की तलाश जारी है,
आदमी आज भी तो मरता है,
ज़िंदा लोगों पे लाश भारी है.
केसा संदेश देगए ये लोग ,
बहस इस बात पर भी जारी है,
बह चुका नील में बहुत पानी,
फिर 'फिरओनो' की फौज भारी है.
[डे-डियो = डेड - बोडियो]
-मंसूर अली हाश्मी.
मम्मियों का ये देश है यारो,
"डे" "डियो" की तलाश जारी है,
आदमी आज भी तो मरता है,
ज़िंदा लोगों पे लाश भारी है.
केसा संदेश देगए ये लोग ,
बहस इस बात पर भी जारी है,
बह चुका नील में बहुत पानी,
फिर 'फिरओनो' की फौज भारी है.
[डे-डियो = डेड - बोडियो]
-मंसूर अली हाश्मी.
Tuesday, September 16, 2008
Blogging-11/Nimantran
ब्लागियात-११
ब्लोग्स पर comments देने की बजाय सीधे 'blog' ही के माध्यम से लेखक से सीधे-सीधे वार्तालाप कर लेने का तरीका मैंने इसलिए अपनाया ताकि 'लेख' और लेखक के प्रति उत्पन्न हुई ख़ुद की समझ को विस्तार दे सकूं, यदि कुछ ग़लत समझा हो तो निराकरण भी हो जाए. किसी से "बहुत बढ़िया" का दो शब्दों का comment लेकर ठीक से पता नही चलता की "क्या" बढ़िया?
एक भाई का यह सुझाव भी अच्छा है की प्रति दिन कम-अज-कम १० कमेंट्स देवे .ठीक है, परन्तु कम मगर विस्तृत कमेंट्स पर भी विचार होना चाहिए, कुछ विषयों का यह तकाज़ा होता है.
आज ब्लोगर्स की रूचि, विषयों की विविधता और किसी बात का तत्काल सम्पूर्ण विश्व में पहुँच जाना ....लेखकीय विश्व का बहुत बड़ा इन्किलाब है, जिसने ब्लोगिंग को आकर्षक और लोकप्रिय बना दिया है.
इस विषय पर ब्लोग्गेर्स और वाचको के मत आमंत्रित है, धन्यवाद.
-मंसूर अली हाश्मी
ब्लोग्स पर comments देने की बजाय सीधे 'blog' ही के माध्यम से लेखक से सीधे-सीधे वार्तालाप कर लेने का तरीका मैंने इसलिए अपनाया ताकि 'लेख' और लेखक के प्रति उत्पन्न हुई ख़ुद की समझ को विस्तार दे सकूं, यदि कुछ ग़लत समझा हो तो निराकरण भी हो जाए. किसी से "बहुत बढ़िया" का दो शब्दों का comment लेकर ठीक से पता नही चलता की "क्या" बढ़िया?
एक भाई का यह सुझाव भी अच्छा है की प्रति दिन कम-अज-कम १० कमेंट्स देवे .ठीक है, परन्तु कम मगर विस्तृत कमेंट्स पर भी विचार होना चाहिए, कुछ विषयों का यह तकाज़ा होता है.
आज ब्लोगर्स की रूचि, विषयों की विविधता और किसी बात का तत्काल सम्पूर्ण विश्व में पहुँच जाना ....लेखकीय विश्व का बहुत बड़ा इन्किलाब है, जिसने ब्लोगिंग को आकर्षक और लोकप्रिय बना दिया है.
इस विषय पर ब्लोग्गेर्स और वाचको के मत आमंत्रित है, धन्यवाद.
-मंसूर अली हाश्मी
Blogging-10
ब्लागियात-१०
स्वयं के लिये:- [ पत्नी का प्रहार.........ब्लोगर्स होशियार!]
लिखते-लिखते यह तुम को क्या सूझी,
नुक्ता चीनी पे क्यों उतर आए?
'हाश्मी' तुम शिकारी शब्दों के,
खींचा-तानी पे क्यो उतर आए?
सर को down करो है बंद server,
रोक लो अब कलम मेरे दिलबर,
कितने पन्ने स्याह कर डाले....
अब ज़रूरत है आपकी घर पर.
-जी , मैं {m}ही हूँ {h} , [किसी से न कहना]
स्वयं के लिये:- [ पत्नी का प्रहार.........ब्लोगर्स होशियार!]
लिखते-लिखते यह तुम को क्या सूझी,
नुक्ता चीनी पे क्यों उतर आए?
'हाश्मी' तुम शिकारी शब्दों के,
खींचा-तानी पे क्यो उतर आए?
सर को down करो है बंद server,
रोक लो अब कलम मेरे दिलबर,
कितने पन्ने स्याह कर डाले....
अब ज़रूरत है आपकी घर पर.
-जी , मैं {m}ही हूँ {h} , [किसी से न कहना]
Subscribe to:
Posts (Atom)