'waal' पर लिक्खा हुआ अब 'केजरी' पढ़ना पड़ा !
'भ्रष्ट' थे 'आचार' जिनके; उनको तो जाना पड़ा।
वस्तुएं महंगी हुई, ईमान जब सस्ता हुआ ,
सेब सस्ता प्याज़ से होना बड़ा महंगा पड़ा !
'हाथ' को मलते हुए ; मुरझाते देखा 'फूल'* को *कमल
भाग्य में बिल्ली के छीका, दिल्ली में, टूटा, पड़ा!
-Mansoor ali Hashmi
http://mansooralihashmi.blogspot.in
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