हम 'Mars' पे बैठे हुए धरती को तकेंगे !
लड़को का ब्याह लड़को से ठहराएंगे जायज़
जनसँख्या पे कण्ट्रोल अब इस तरह करेंगे !
दूल्हा कभी दुल्हन बने, दुल्हन कभी दूल्हा !
अब दहेज़ की खातिर वो, जलेंगे न मरेंगे।
अब बच्चो की खातिर न तलाक़ होवेंगे उनमें
क़ाज़ी जी को फुर्सत हुई, सर्द आह भरेंगे
बच्चे नज़र आयेंगे न अब निस्फ़ सदी बाद
किलकारियों के बदले तब "ताली" ही सुनेंगे !
'गर्भों' का कष्ट होगा न औलाद का सुख-दुख
'intake' जैसा होगा, वैसा ही 'हगेंगे'
तब आधी सदी बाद ये मरदाना-ज़नाने,
गायेंगे! , बजायेंगे!! या फरयाद!!! करेंगे ?
Note: {Pictures have been used for educational and non profit activies. If any copyright is violated, kindly inform and we will promptly remove the picture. -- mansoor ali hashmi
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