ग़ज़ल
संस्कारों की ये विरासत है,
ये मेरा देश है, ये भारत है.
पैकरे हुस्न है कि आफत है ?
क्या बुलंद उसका क़द्दो-क़ामत है!
मैं, कि शौरीदा सर, गिरफ्ते बला
उसकी आँखों में बस शरारत है.
काम शैतान ही के करता है,
फिर भी शैतान ही पे लानत है !
जब भी पढता है, बे-क़रार करे,
है वो 'इन्दौरी' नाम 'राहत' है.
लफ्ज़ के जोड़-तौड़ में माहिर,
'हाशमी' ही की ये रिवायत है.
--mansoor ali hashmi
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