आपको मुझसे कोई हाजत है ?
बस यही आज की सियासत है !
ख़ूब लम्बे सफ़र पे निकला है,
जिसको कुर्सी की ख़ूब चाहत है.
यूं तो सस्ता बहुत नहीं लेकिन,
माल से ज़्यादा उसकी लागत है.
पस्त इस वास्ते मुसलमाँ है,
मुफ्लिसी, साथ में जहालत* है. *[अशिक्षा]
अज़्मो-हिम्मत, यकीं-ओ-ख़ुद्दारी,
कामयाबी की ये ज़मानत है.
-Mansoor ali Hashmi
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