बलात्कार
'कर्ता' जो कुछ न करता हो 'बेकार' ही तो है !
इंजन बिना भी चल रही 'सरकार ही तो है.
धारण किये है मौन और 'ऊर्जा' है क्षीण-क्षीण,
'सरदार' जो है अपने 'अ'सरदार ही तो है.
शामिल रज़ा* न हो तो 'बलात्कार' ही तो है, *permission
हठधर्मिता की श्रेणी; व्याभिचार ही तो है।
प्रशस्त कर रहे है वो 'मुक्ति' का मार्ग ही !
"बाबा"* जो कर रहे है वो सहकार ही तो है!! * आज के 'बापू'
'रूपये' के दम पे करते थे व्यापार कल तलक
'रूपये' का घटना आजकल व्यापार ही तो है.
फिर 'धर्म' का जुनून अब सर पर सवार है,
दंगाईयों की राह फिर हमवार ही तो है.
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--mansoor ali hashmi
2 comments:
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति .. आपकी इस रचना के लिंक की प्रविष्टी सोमवार (26.08.2013) को ब्लॉग प्रसारण पर की जाएगी, ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया पधारें .
हम्म!!
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