कब खेल रुकेगा गन्दा !
बरसो-बरस तक ढूँढा.
भर गया है इसका हंडा ,
फूटेगा पाप का भंडा.
रक्षा-बंधन के पावन पर्व की हार्दिक बधाई।
जब लगेगा इसको डंडा,
होवेगा जोश भी ठंडा.
'नापाक' समझ कर फेंका*, *'पाक' ने
हो गया जो बूढ़ा 'मुण्डा'.
'दाऊद' से छोटा गुंडा,
तैयार करो फिर फंदा.
डॉलर सर पर चढ़ बैठा,
व्यापार हुआ है मंदा.
मौसम 'चुनाव' का आया,
फिर करो इकट्ठा चन्दा.
अब अगले साल में देखो,
फहराता कौन है झंडा !
रक्षा-बंधन के पावन पर्व की हार्दिक बधाई।
--mansoor ali hashmi
4 comments:
बढ़िया है...चुनावी बुखार चढ़ने ही वाला है....
hasa hasa ke dukha diya munda
कौन जाने कब!!
यथार्थ………
Post a Comment