पढ़ न सके तो 'वाह' तो देते ही जाईये !
'थप्पड़' से काम न चले, 'घूंसा' लगाईये,
गर है 'प्रिंस' गुस्सा तो आना ही चाहिए.
हासिल न जीत हो सके, लख कोशिशो के बाद,
फर्जी बयानबाजी के छक्के लगाईये.
बल्ले से रन, न बोल से चटके विकेट जब,
क्रिकेट छोड़कर के कबूतर उड़ाईये.
अनशन हो कारगर, न ही भाषण से लाभ हो,
हरिद्वार जाके चैन की बंसी बजाईए.
'थप्पड़' से काम न चले, 'घूंसा' लगाईये,
गर है 'प्रिंस' गुस्सा तो आना ही चाहिए.
हासिल न जीत हो सके, लख कोशिशो के बाद,
फर्जी बयानबाजी के छक्के लगाईये.
बल्ले से रन, न बोल से चटके विकेट जब,
क्रिकेट छोड़कर के कबूतर उड़ाईये.
अनशन हो कारगर, न ही भाषण से लाभ हो,
हरिद्वार जाके चैन की बंसी बजाईए.
सब्जेक्ट 'dull' हो टाईटल भड़कीला दीजिए,
नुस्खा ये कारगर है, ज़रा आजमाईये .
होली पे गालियों का मज़ा और ही है कुछ,
एकाध पोस्ट आके ज़रा ठेल जाईये.
-mansoor ali hashmi
होली पे गालियों का मज़ा और ही है कुछ,
एकाध पोस्ट आके ज़रा ठेल जाईये.
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If any copyright is violated, kindly inform and we will promptly remove the picture.}
mansoor ali hashmi
-mansoor ali hashmi
12 comments:
वाह वाह...
हम तो कमेंट ही ठेल सकते हैं जी..
कहते हैं खूब हाशमी अपने अन्दाज में
खुद न कह सकें, उन्हीं से काम चलाइए
.
उकता चुके हों जो भी इस-उस ब्लॉग पर जा'कर
उनसे यही कहना है मंसूर चचा की महफ़िल में चले आइए
:)
जवाब नहीं है आपका वाह ! वाऽऽह ! व्वाऽऽऽह !
हार्दिक शुभकामनाओं-मंगलकामनाओं सहित…
- राजेन्द्र स्वर्णकार
:)
घुघूतीबासूती
बहुत खूब।
वाह तो ले ही लें..देते जा रहे हैं.
mansoor bhaai sikh to achchhi hai lekin ise hm maane yaa nhin btaaiye pliz .....akhtar khan akela kota rajsthan
मंसूर भाई पहली 'वाह' पढ़' सकने पर और दूसरी 'वाह' न पढ़ सकने पर कबूल करें...दोनों करेंगे तो वाह वाह हो जाएगी...कमाल लिखा है आपने...वाह के साथ दाद भी कबूल करें
नीरज
क्या बात है आपकी साहब
Mood aur maahaul holi ka bana diya aapne. Ab Post bhee thelenge :)
बरबस मुस्कान आ जाती है पढ़ने पर। वाह!
wah wah kya baat hai
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