चल जाता है कुछ काम 'उधारी' से कमोबेश !
[Banker:- "शब्दों का सफ़र" किसी कंपेश को जानते हैं आप ? ]
'शब्दों का सफ़र' 'जाल' पे जारी है निरंतर,
नज़राने लिए 'ज्ञान' के हरसू से कमोबेश.
जब 'मन' की उदासीनता लिखने नहीं देती,
'शब्दों का सफ़र' देता है अलफ़ाज़ कमोबेश.
अब 'जास्ती' लिखने का 'नक्को' फायदा कोई,
कमेंट्स तो मिलते है, "बहुत ख़ूब" कमोबेश.
छीने है ग्लेमर ने जो पौशाक जिसम से,
रहने दिये कपड़े तो है, फेशन ने कमोबेश.
बाबू है निठल्ले, अजी करते नहीं कुछ काम,
बाबू है निठल्ले, अजी करते नहीं कुछ काम,
'रिश्वत' है तो चल जाती है गाड़ी तो कमोबेश.
चटखारे बहुत देता है 'भ्रष्टो' का ये 'अचार',
मौसम में 'चुनावों' के तो चलता है कमोबेश.
हम झूठ के अंबार में क्या ढूँढ़ रहे है ?
उम्मीद कि मिल आएगा इक सच तो कमोबेश !
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Mansoor ali Hashmi
12 comments:
अब 'मन' की उदासीनता लिखने नहीं देती,
'शब्दों का सफ़र' देता है अलफ़ाज़ कमोबेश.
बहुत खूब । इस शेर मे "अब" की जगह "जब" कर लें तो
बात और बेहतर होगी ।
@ अजित वडनेरकर
'उदासीनता' की लम्बाई "कम" करता 'जब' वाकई बेहतर है.धन्यवाद.
म.ह.
वाह, क्या बात कही है -
अब 'जास्ती' लिखने का 'नक्को' फायदा कोई,
कमेंट्स तो मिलते है, "बहुत ख़ूब" कमोबेश.
बहुत खूब!
sahi hai, hazoor!!
हुजूर! बजा फरमाया आप ने।
जिन्दगी का अनुभव, वर्तमान के सन्दर्भों में, अपनी सम्पूर्ण सार्थकता से बोलता है आपकी गजलों में। आपको हमारी उम्र लगे और आप चौबीसों घण्टे लिखते रहें। समय और समाज को आपकी (और आप जैसे लोगों की) अधिक आवश्यकता है।
सोचने को बाध्य करती पंक्तियाँ, आभार!
अब 'जास्ती' लिखने का 'नक्को' फायदा कोई,
कमेंट्स तो मिलते है, "बहुत ख़ूब" कमोबेश.
वाह...खुदा कसम मंसूर भाई आप लाजवाब हैं...ढेरों दाद कबूल करें.
नीरज
जन्मदिन मुबारक हो!
शब्दों से सफर जारी था कम्पेश निरंतर = सफर को सफ़र ना पढ़ा जाये
नैनों की बैटरी ना टिकी इस जवान की
मन था कुलांच मारता ,कम्पेश बराबर
अंखियां नई बनाने में आफत जहान की
टिपिया गए हैं दोस्त जो कम्पेश धडाधड
हमको पसंद आई जन्मदिन के नाम की :)
शुक्रिया दिनेश राय जी.
शुक्रिया अली साहब.
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