Mansoorali Hashmi to ई-गुरु show details 9:05 AM (1 minute ago) वाह! गुरु, बड़े दिनों में आए , मगर बड़ी दिलचस्प टिप्पणी के साथ, वर्ना यहाँ तो अक्सर ''बहुत खूब'' से ही निपटा दिया जाता है. तस्वीर में तुम्हारे चेहरे की चंचल मुस्कान जैसी ही आत्मीय तुम्हारी टिप्पणी भी लगी. भाई राजीव , आज कल घटनाएं/दुर्घटनाएं ही कुछ non-standard जैसी हो रही है , तो लेखनी के स्तर में गिरावट भी तदनुसार ही मान ले. वैसे मैरा लेखन साहित्य की श्रेणी में शायद नहीं आता [ऐसा होने पर इस बात का भय भी रहता है क़ि लेखक थोड़ा ग़ैर ज़िम्मेदार हो जाता है]. फिर इस रोचक विषय पर बारी-बारी सभी ब्लोगर कूद रहे है तो मैं भी ख़ुद को वंचित नहीं रख सका. अब लेख की बात करे:- बेडमिन्टन/badminton बेड man -शन [shun ]
SO नया भी है पुराने जैसा, मर्ज़ उनका है ज़माने जैसा, अपने साथी को बदल कर दोनों, खेल पायेंगे दीवाने जैसा! -मंसूर अली हाशमी
तुम्हारे 'पल्ले न पड़ने' वाले कथन में भी दम है, थोड़ा खुलासे की आवश्यकता थी, कुछ इस तरह:
# sub title बेड man -शन [shun ] पर ध्यान केन्द्रित करे.
# so [तो] को इंग्लिश शब्द के तौर पर लेवे.
# सानिया और मिर्ज़ा शब्दों के निकटवर्ती शब्द प्रयोगात्मक है.
# खिलाड़ी तो दोनों ने बदले ही है.
#'खेल पायेंगे दीवाने जैसा!' में प्रश्नवाचक आश्चर्य चकितता है.
अब बोलो राजीव? 'बहुत खूब' कह कर छुटकारा पाना आसान था या 'बड़े मियाँ' को छेड़ना?
8 comments:
बहुत खूब।
क्या बात है।
बेहतरीन!
:)
लीजिये यहाँ पर सब लोग बहुत खूब और बेहतरीन भी कह दिए और हमारे पल्ले ही नहीं पड़ा !!
तुच्छ बुद्धि, अरे हम खुद को कह रहे हैं, आपको नहीं :)
वैसे आप हमेशा ही अच्छा लिखते हैं. आपको यदि नंबर देना हो तो 99.99/100
Mansoorali Hashmi to ई-गुरु
show details 9:05 AM (1 minute ago)
वाह! गुरु, बड़े दिनों में आए , मगर बड़ी दिलचस्प टिप्पणी के साथ, वर्ना यहाँ तो अक्सर ''बहुत खूब'' से ही निपटा दिया जाता है.
तस्वीर में तुम्हारे चेहरे की चंचल मुस्कान जैसी ही आत्मीय तुम्हारी टिप्पणी भी लगी.
भाई राजीव , आज कल घटनाएं/दुर्घटनाएं ही कुछ non-standard जैसी हो रही है , तो लेखनी के स्तर में गिरावट भी तदनुसार ही मान ले. वैसे मैरा लेखन साहित्य की श्रेणी में शायद नहीं आता [ऐसा होने पर इस बात का भय भी रहता है क़ि लेखक थोड़ा ग़ैर ज़िम्मेदार हो जाता है].
फिर इस रोचक विषय पर बारी-बारी सभी ब्लोगर कूद रहे है तो मैं भी ख़ुद को वंचित नहीं रख सका.
अब लेख की बात करे:-
बेडमिन्टन/badminton
बेड man -शन [shun ]
SO नया भी है पुराने जैसा,
मर्ज़ उनका है ज़माने जैसा,
अपने साथी को बदल कर दोनों,
खेल पायेंगे दीवाने जैसा!
-मंसूर अली हाशमी
तुम्हारे 'पल्ले न पड़ने' वाले कथन में भी दम है, थोड़ा खुलासे की आवश्यकता थी, कुछ इस तरह:
# sub title
बेड man -शन [shun ]
पर ध्यान केन्द्रित करे.
# so [तो] को इंग्लिश शब्द के तौर पर लेवे.
# सानिया और मिर्ज़ा शब्दों के निकटवर्ती शब्द प्रयोगात्मक है.
# खिलाड़ी तो दोनों ने बदले ही है.
#'खेल पायेंगे दीवाने जैसा!' में प्रश्नवाचक आश्चर्य चकितता है.
अब बोलो राजीव? 'बहुत खूब' कह कर छुटकारा पाना आसान था या 'बड़े मियाँ' को छेड़ना?
-मंसूर अली हाशमी
हमें समझ में आता है इसीलिए बेहतरीन लिखते हैं।
मगर आपक (ई) गुरू के लिए गाइड लिखने बैठ गए हाशमी साहब...
गुरू को चेला बना कर ही मानिये......:)
Post a Comment