कानून, प्रशासन और आम आदमी...
अंधे कुए में झाँका तो लंगड़ा वहां दिखा,
पूछा, की कौन है तू यहाँ कर रहा है क्या?अंधे कुए में झाँका तो लंगड़ा वहां दिखा,
बोला, निकाल दो तो बताऊँगा माजरा,
पहले बता कि गिर के भी तू क्यों नही मरा?
मैं बे शरम हूँ, मरने कि आदत नही मुझे,
अँधा था मैरा दोस्त यहाँ पर पटक गया,
मुझको निकाल देगा तो ईनाम पाएगा!
शासन में एक बहुत बड़ा अफसर हूँ मैं यहाँ.
तुमको ही डूब मरने का जज ने कहा था क्या?
कानून से बड़ा कोई अंधा हो तो बता?
अच्छा तो ले के आता हूँ ;चुल्लू में जल ज़रा,
एक ''आम आदमी'' हूँ, मुझे काम है बड़ा......!
mansoor ali hashmi
4 comments:
बहुत खूब!
बेहतरीन टिप्पणी है आम आदमी के किरदार पर
क्या खूब वार्तालाप है. पढ़कर मूड फरेश हो गया.
कल मिलेंगे, होली स्पेशल पोस्ट "होली में ठिठोली के साथ"
शुक्रिया.
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