[With Sallu it is sometimes difficult to keep his shirt on....T. O. I./21.09.09]
Shirt [शर्त?]
पहन लूँ या निकालूं फर्क क्या है,
दिखाऊँ या छुपाऊं हर्ज क्या है,
मैं हर सूरत बिकाऊं शर्त? क्या है,
बताएं कोई इसमें तर्क क्या है?
जो बाहर हूँ, मैं अन्दर से वही हूँ,
मगर Under की दुनिया से नही हूँ,
गलत कितना हूँ मैं कितना सही हूँ,
''दसो-का-दम'' हूँ मैं बेदम नही हूँ.
मिरी हीरोईनों में तो हया है,
लिबासों में सजी वो पुतलियाँ है,
नही गर एश तो में कैफ* में हूँ,
असिन, रानी है आयशा टाकिया है.
*खुमार
2 comments:
बस, आजकल तो सल्लु मियाँ ही छाये हैं.
ईद की मुबारकबाद!!
आपके ब्लॉग पर आना अच्छा लगा.
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