Thursday, April 2, 2009

One Over

एक ओव्हर {यानि ६ अलग-अलग बोल}

१-तब गलत बोल बुरे होते थे,
   अब गलत
ball बड़े होते है,

२-तब 'पलट बोल' के बच जाते थे,
    अब तो '' पलटे '' को छका [sixer] देते है .

३-अब तो बोलो की कदर ही क्या है,
    तब तो सिर* पर भी बिठा लेते थे.

-बोल - noBall में घटती  दूरी,
    जैसे गूंगो के बयाँ होते है.


५-तारे* बोले तो ग्रह [वरुण] चुप क्यों रहे?
    घर के बाहर भी गृह [cell] होते है.


६-dead बोलो पे भी run-out*  है,
   थर्ड अम्पायर [तीसरा खंबा]* कहाँ होते है?

*[नरीमन कांट्रेक्टर-इंडियन कैप्टेन]
*  बड़े नेता

 * बच निकलना

*न्याय-पालिका

मंसूर अली हाशमी

9 comments:

दिनेशराय द्विवेदी said...

आज तो पूरे क्रिकेटमय हो गए हैं आप।

परमजीत सिहँ बाली said...

बहुत बढिया!!

Udan Tashtari said...

सही है!!

नीरज गोस्वामी said...

ये क्या है...क्रिकेट मय शायरी...नया अंदाज़...वाह
नीरज

Vinay said...

नयापन मन भा गया!

अजित वडनेरकर said...

बहुत खूब हाशमी साहब...
आपके दरवाजे़ पर आता हूं, पर नाम लिखवाए बिना चला जाता हूं।

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