Wednesday, December 31, 2008

आशावाद /optimism

नई मंजिल

कुछ खुश्गवार यादों के साये तले चले,
कुछ खुश्गवार वादो के साये तले चले,
कुछ यूँ चले कि चलना मुकद्दर समझ लिया,
आखिर जहाने फ़ानी से से चलते चले गये।


रुक यूँ गये कि दश्त* को गुलशन समझ लिया,
और सामने पहाड़ को चिल्मन# समझ लिया,
सोचा कि अबतो देख के नज़्ज़ारा जाएंगे,
ठहरे हुए को दुनिया ने मदफ़न समझ लिया।


फ़िर चल पड़े तलाश में मन्ज़िल को इक नयी,
लेकर चले उमंग नयी, आरज़ू नयी,
गुज़री हुई बिसारके आगे को चल दिये,
नव-वर्ष आ गया है, सुबह भी नयी-नयी।
*जंगल
#पर्दा
ईश्वरत्व का
कब्र
[नोट:- अन्तिम चार पंक्तियां- श्री द्विवेदीजी और सुश्री वर्षाजी की फ़र्माईश पर जोड़ दी है]
सभी ब्लागर साथियों को नव-वर्ष [2009] की बधाई, शुभ-कामनाओ सहित, जय-हिन्द्।


मन्सूर अली हाशमी।  

2 comments:

दिनेशराय द्विवेदी said...

बहुत खूब, अब कोई बात बनी!
नया साल मुबारक हो!

Smart Indian said...

नया साल मुबारक!