बड़ा कौन ?
किस 'बला' में है मुब्तला 'गीरी'* [ब्लागीरी]
झाड़ या फूंक ही करा लीजे.
फंकी चूरण की लो जो पेट दुखे,
सर दुखे बाम ही लगा लीजे.
समझ नही आता तकलीफ कहाँ पर है? हिन्दी ब्लागिंग में जो उठा-पटक चल रही है , अफ़सोस क विषय है. अपनी खामोशी कुछ इस तरह तौड़ रहा हूँ:-
'गल' में 'गू' आ गया है क्या कीजे?
थूंक कर चाटना, सज़ा कीजे.
किसको छोटा किसे बड़ा कीजे.
सब बराबर है अब मज़ा कीजे
बलग़मी है सिफत बलागों की,
थूंक कर साफ़ अब गला कीजे.
थूंक कर साफ़ अब गला कीजे.
जो है लेटा उसे बिठाना है,
बैठने वाले को खड़ा कीजे.
यूं तो ठंडक थी 'उनके' रिश्तो में,
बढ़ गया ताप अब हवा कीजे.
ख़ामशी ओढ़ने से क्या मतलब,
दिल दुखा है अगर दवा कीजे.
हर बड़े पर ये बात वाजिब है,
जो है छोटा उसे क्षमा कीजे.
फिर न हो पाए ऎसी उलझन अब,
आइये मिलके सब दुआ कीजे.
mansoorali हाश्मी
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