Monday, April 28, 2014
Wednesday, April 9, 2014
चुनाव, लोकतंत्र की अज़ान* है
चुनाव, लोकतंत्र की अज़ान* है *Call / पुकार
कि बस वही महान है।
'वज़ीर जिसका "शाह" हो,
उसे तो इत्मीनान है।
हो 'साहब' मेहरबान तो ,
गधा भी पहलवान है।
है खून दाढ़ में लगा,
फंसी उसी की जान है
वजूद इनका गर कोई,
तो सिर्फ एक 'निशान'* है
[*चुनावी]
ये घोषणा के पत्र भी,
छलावे ही का दान है ।
है मौल-भाव भी यहाँ,
धरम भी अब दुकान है।
है सच क्यों पस्त-पस्त आज,
औ[र] झूठ पर उठान है ?
बने वो 'भूत' फिर रहे !
न 'शोले' है न 'शान' है।
कहाँ है सादा लोह लोग
ये क्या वहीं जहान है ?
यहाँ पे आदमियत अब,
पड़ी लहू-लुहान है।
कि अब यहाँ तो जान ही ,
किसान का लगान है।
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चुनाव
Thursday, April 3, 2014
PARLIAMENTRY ELECTION
प्रजातंत्र का ये त्यौहार !
बे ईमानो की जय-जयकार ,
अबकी तो "ख़ुद" ही सरकार !
'हाथ' कहीं तो 'कमलाकार',
'झाड़' फूँक भी है दरकार ।
बांटना हो जिनका आधार
कर दो उनका बंटाधार।
कौन करे इनका उपचार,
एक अनार -ओ- सौ बीमार।
विषय भूगोल हो या तारीख़,
बात करे है 'भेजामार' .
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तिलक, तराज़ू या तलवार,
किस, किसको मारे जूते चार ?
'बाबर' की औलादो के भी
बिसरादे, क्या अत्याचार ?
'स्याही' धोना सीख ले यार,
वोट करेंगे बारंबार,
बात नही कोई चिंता की,
संग है अपने 'शरद पवार'.
कौन हो अपना तारणहार ?
जीत किसे दे; किसको हार ??
कथनी को करनी में जीता !
सादा जीवन उच्च विचार !!
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