Thursday, August 25, 2011

DIPLOMACY


नए नेता की सूची में तेरा भी नाम है प्यारे !

सियासत जिसको कहते है, इसी का नाम है प्यारे,
कोई 'अन्ना' बना है तो कोई 'गुमनाम' है प्यारे.

बुझे दीपक से नज़रे ही चुराते सबको देखा है,
चमकते 'सूर्य' को करते सभी प्रणाम है प्यारे.

जहां पर चापलूसी, झूठ का ही बोल बाला हो,
शराफत, दोस्ती और वफ़ा नाकाम है प्यारे.

हर एक 'मंसूर' को फांसी चढ़ाने को तुले है वो, 
'गुरुओ' और  'कस्साबो' को तो आराम है प्यारे.



















मोहब्बत दीन है और मोहब्बत ही ख़ुदा ए दोस्त,
जला नफरत के रावण को जो तुझ को 'राम' है प्यारे.

"भ्रष्टाचार मिट जाए" यही है कामना सबकी. 
अभी तो देश में ये ही बड़ा एक काम  है प्यारे . 

Note: {Pictures have been used for educational and non profit activies. 
If any copyright is violated, kindly inform and we will promptly remove the picture.}
--mansoor ali hashmi 

8 comments:

विष्णु बैरागी said...

चिकनी-चुपडी तो सुनाता है सारा जहॉं
खरी-खरी सुनाता है बस, 'मंसूर' प्‍यारे

Dr Varsha Singh said...

बेहतरीन शेर....बेहतरीन ग़ज़ल ....

दिनेशराय द्विवेदी said...

इस माहौल में बहुत बेहतरीन रचना है। एक दम खरी खरी।

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार said...

मोहतरम मंसूर चाचाजान
सादर सस्नेहाभिवादन !

आपकी हज़ल बस , दिल में उतर जाती है हमेशा …
हर एक 'मंसूर' को फांसी चढ़ाने को तुले है वो,
'गुरुओ' और 'कस्साबो' को तो आराम है प्यारे

बेहतरीन !


# विष्णु बैरागी जी का काव्य प्रयास भी सराहनीय और हमारे मन की बात कहने वाला है :))


एक शे'र हमारी तरफ़ से भी पेशे-ख़िदमत है
* दिमाग़ो-दिल हों सत्ता के या हिंदुस्तान की सड़कें
इक अन्ना की बदौलत आज चक्काजाम है प्यारे
*

मुलाकात को लंबा अरसा बीत गया …
मेरी ताज़ा पोस्ट पर आपका भी इंतज़ार है
काग़जी था शेर कल , अब भेड़िया ख़ूंख़्वार है
मेरी ग़लती का नतीज़ा ; ये मेरी सरकार है

वोट से मेरे ही पुश्तें इसकी पलती हैं मगर
मुझपे ही गुर्राए … हद दर्ज़े का ये गद्दार है

मेरी ख़िदमत के लिए मैंने बनाया ख़ुद इसे
घर का जबरन् बन गया मालिक ; ये चौकीदार है

पूरी रचना के लिए मेरे ब्लॉग पर पधारें … आपकी प्रतीक्षा रहेगी :)

विलंब से ही सही
♥ स्वतंत्रतादिवस सहित श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !♥
- राजेन्द्र स्वर्णकार

Anonymous said...

Ajit Wadnerkar said:


हर एक 'मंसूर' को फांसी चढ़ाने को तुले है वो,
'गुरुओ' और 'कस्साबो ' को तो आराम है प्यारे.

वाह , वाह, वाह...
यही कहा जा सकता है

--अजित
http://shabdavali.blogspot.com/
मोबाइल-
औरंगाबाद- 07507777230

Udan Tashtari said...

एकदम सटीक रचना आज के लिए.

Anonymous said...

@ anjna dayal said:

anjana dayal -moहब्बत दीन है और मोहब्बत ही ख़ुदा ए दोस्त,
जला नफरत के रावण को जो तुझ को 'राम' है प्यारे.

hamesha ki tarah dilchasp aur sateek!9:16 pm

Kunwar Kusumesh said...

जैसे ही आसमान पे देखा हिलाले-ईद.
दुनिया ख़ुशी से झूम उठी है,मनाले ईद.
ईद मुबारक